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हार की समीक्षा और कारणों पर सफाई

By Edited By: Published: Sat, 23 Aug 2014 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 23 Aug 2014 01:00 AM (IST)
हार की समीक्षा और कारणों पर सफाई

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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उत्तराखंड भाजपा की रुद्रपुर कार्यसमिति की बैठक के खासे हंगामेदार रहने के आसार हैं। लोकसभा चुनाव में रिकार्ड जीत के हैंगओवर में तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में करारी शिकस्त झेलने पर केंद्रीय नेतृत्व से कड़ी फटकार खा चुके प्रदेश संगठन को प्रदेश कार्यसमिति में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों पर भी सफाई देनी पड़ेगी। दो दिवसीय कार्यसमिति के दौरान अगले महीने आरंभ हो रहे सदस्यता अभियान की रणनीति को भी अंतिम रूप दिया जाएगा।

उत्तराखंड में विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा की यह प्रदेश कार्य समिति बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण है। लोकसभा चुनाव में जोरदार प्रदर्शन और पांचों सीटों पर जीत दर्ज करने से जहां पार्टी को बढ़े मनोबल के साथ कार्यसमिति बैठक में होना चाहिए था, वहीं तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस के हाथों करारी हार ने पार्टी के उत्साह को खत्म कर दिया। रही-सही कसर पूरी हो गई त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लचर प्रदर्शन से, जिसने पार्टी को चंद महीनों में अर्श से फर्श पर ला पटका। इन परिस्थितियों में तय है कि भले ही कार्यसमिति बैठक में लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन पर खुद की पीठ थपथपाई जाए मगर यह होगा महज औपचारिक ही।

नमो लहर के बूते लोकसभा चुनाव में एकतरफा जीत हासिल करने के बाद भाजपा के रणनीतिकार मान बैठे कि विधानसभा उपचुनाव में भी मोदी फैक्टर असर दिखाएगा मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसी भरोसे चुनावी जंग में उतरी पार्टी को उप चुनाव में मुंह की खानी पड़ी। पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका यह रहा कि वह डोईवाला और सोमेश्वर सीटें भी गंवा बैठी, जो पिछले विधानसभा चुनाव में उसने जीती थीं। इन सीटों के विधायक डा. रमेश पोखरियाल निशंक व अजय टम्टा के सांसद बन जाने के कारण रिक्त हुई सीटों पर उपचुनाव में भाजपा चारों खाने चित हो गई। बगैर ठोस रणनीति लड़े गए इन उपचुनाव में भितरघात के आरोप भी लगे, जिन पर कार्यसमिति बैठक में चर्चा तय है।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी भाजपा रणनीतिक रूप से कांग्रेस के समक्ष खासी कमजोर नजर आई। भाजपा के उलट कांग्रेस ने इन चुनाव में अपने प्रत्याशी घोषित करने की बजाए समर्थित प्रत्याशी मैदान में उतारे। इससे कांग्रेस को फायदा ही हुआ और क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायतों में उसने पूर्ण वर्चस्व कायम करने में सफलता हासिल की। इसके विपरीत भाजपा द्वारा प्रत्याशी घोषित करने के कारण अंदरूनी असंतोष सतह पर आ गया और कई बागियों ने मैदान में ताल ठोक दी। इस परिप्रेक्ष्य में कार्यसमिति बैठक में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की समीक्षा के दौरान प्रदेश नेतृत्व को पार्टी के प्रदर्शन का जवाब देना होगा।

भाजपा का सदस्यता अभियान आगामी 15 सितंबर से आरंभ हो रहा है। कार्यसमिति इस बैठक में अभियान की रूपरेखा पर भी मुहर लगाई जाएगी। पार्टी के इन अंदरूनी मसलों के अलावा कार्यसमिति बैठक में प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा, मूलभूत सुविधाओं की अनुपलब्धता, सड़कों की दुर्दशा, राष्ट्रीय खाद्य योजना, लोकायुक्त एक्ट को लागू करने में देरी और अब फिर संशोधन की तैयारी तथा कानून-व्यवस्था पर भी चर्चा संभावित है। प्रदेश संगठन के पदाधिकारियोंके अलावा राज्य के पांचों सांसद इसमें शिरकत करेंगे। शनिवार को कार्यसमिति बैठक से पहले प्रदेश पदाधिकरयों की बैठक होगी, जिसमें एजेंडा तय किया जाएगा। कार्यसमिति बैठक के पहले दिन केंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर राष्ट्रीय सह महामंत्री शिवप्रकाश व दूसरे दिन राष्ट्रीय महामंत्री संगठन रामलाल मौजूद रहेंगे।


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