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उत्तराखंड में आठ तक के बच्चों का जांचा जाएगा शिक्षिक स्तर

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों का शैक्षिक स्तर जांचा जाएगा। इसमें कमजोर बच्चों को चिह्नित कर उन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 01:30 PM (IST)Updated: Sun, 26 Feb 2017 06:55 AM (IST)
उत्तराखंड में आठ तक के बच्चों का जांचा जाएगा शिक्षिक स्तर
उत्तराखंड में आठ तक के बच्चों का जांचा जाएगा शिक्षिक स्तर

देहरादून, [जेएनएन]: सूबे के सभी सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों का शैक्षिक स्तर जांचा जाएगा। इस बारे में आदेश जारी करते हुए निदेशक (बेसिक शिक्षा) सीमा जौनसारी ने बताया कि 16 से 24 मार्च तक सूबे में सभी शासकीय और अशासकीय स्कूलों में अभियान चलाकर हर बच्चे के विषयवार शैक्षिक स्तर का आंकलन-मूल्यांकन किया जाएगा। अभियान का दूसरा चरण अक्टूबर में शुरू होगा। प्रदेश में लगभग सात लाख छात्र-छात्राएं इस दायरे में आएंगे। 

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बेसिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी के मुताबिक इस प्लानिंग का उद्देश्य पढ़ाई में कमजोर बच्चों को बेहतर बनाना है। इस अभियान को लेकर गढ़वाल व कुमाऊं परिक्षेत्रों के अपर निदेशकों को आदेश से अवगत करा दिया गया है। 

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इसमें राज्य स्तरीय अधिकारी भी स्कूलों में जाकर जांच करेंगे। इसके साथ ही मंडलीय अपर निदेशक आकस्मिक तौर पर निरीक्षण करेंगे व अभियान के संबंध में निदेशालय को रिपोर्ट भेजेंगे। 

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निदेशक के अनुसार आठवीं कक्षा तक किसी भी बच्चे को फेल न करने की नीति की वजह से हो रहे नुकसान को दूर करने के लिए इस तरह का अभियान प्लान किया गया है। फेल न करने की नीति से यह पता नहीं चल पाता कि संबंधित छात्र का मानसिक व बौद्धिक स्तर उस कक्षा के अनुसार है भी कि नहीं, जिसमें वह अध्ययनरत है। 

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इस तरह होगी बच्चे की जांच 

-मंडलीय अपर निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक) और डायट प्राचार्यों के संयुक्त प्रयास से एक विषयवार फार्मूला तैयार किया जाएगा। फार्मूले को अंतिम रूप डायट ही देगा। 

-संकुलवार नियुक्त किए गए संकुल संसाधन समन्वयक (सीआरसी) छात्रों की विषयवार स्थिति की रिपोर्ट बनाएंगे।   

-जिला शिक्षा अधिकारी अपने जिलों की रिपोर्ट बेसिक शिक्षा निदेशालय व राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को सौपेंगे। 

-रिपोर्ट के आधार पर पढ़ाई में कमजोर बच्चों पर फोकस किया जाएगा। उन्हें शेष छात्रों के स्तर तक लाने के प्रयास होंगे। 

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चलाया जाएगा अभियान  

बेसिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी के अनुसार इस वर्ष मार्च और अक्टूबर में प्रदेश के सभी स्कूलों में अभियान चलाकर यह जानकारी जुटाई जाएगी कि कौन बच्चा पढ़ाई में किस तरह से कमजोर है। इसके बाद शिक्षक, स्कूल प्रबंधन व अभिभावकों के जरिये बच्चे का शैक्षिक व बौद्धिक स्तर सुधारने का प्रयास किया जाएगा।

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