मनुहार में केंद्रीय नेताओं का छूटा पसीना
देहरादून, जागरण ब्यूरो:
घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ ताल ठोक रहे बड़े जनाधार वाले बागियों को मनाने में दोनों राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और भाजपा के बड़े केंद्रीय नेताओं के भी पसीने छूट गए हैं। हालांकि नामांकन वापसी के लिए कम वक्त शेष रहने के बावजूद आस छोड़ी नहीं गई। अलबत्ता छोटे कद के नेताओं को मनाने में कितनी कामयाबी मिली, यह कल साफ हो जाएगा। उधर, बागी तेवरों के साथ मैदान में डटे रहने वाले प्रत्याशियों को निकालने के साथ ही उन्हें शह देने वाले दिग्गज नेताओं के रिपोर्ट कार्ड में भी हाईकमान 'रेड एंट्री' दर्ज करेगा।
घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ असंतोष कोई बड़ा गुल नहीं खिला सके, इसे लेकर दोनों राष्ट्रीय दलों के रणनीतिकार रविवार को भी दिनभर मंथन और मशक्कत में जुटे रहे। रूठों को मनाने की इस कोशिश में छोटे कद के और एक-दो हजार वोटर तक पैठ रखने वाले नेताओं को मनाने में काफी हद तक कामयाबी शीर्ष नेताओं को मिली है। वहीं पूरी कोशिश के बावजूद राष्ट्रीय स्तर के नेता व्यापक जनाधार वाले बागियों को मनाने में कामयाब नहीं हुए। ऐसी ही कोशिश केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद के स्तर पर की गई, लेकिन ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून और अन्य जिलों में ज्यादा दम-खम रखने वाले असंतुष्टों को मनाने में कामयाबी नहीं मिल पाई। कमोबेश यही स्थिति भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय महामंत्री व सह प्रदेश प्रभारी धर्मेद्र प्रधान समेत कई आला नेताओं को झेलनी पड़ी है।
नामांकन वापसी के बाद भी मैदान में डटे रहने वाले बागियों के खिलाफ कड़े तेवर के साथ कार्रवाई तय मानी जा रही है। कांग्रेस हाईकमान ने तो क्षेत्रीय सांसदों, प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष को यह जिम्मा सौंपा है। प्रदेश प्रभारी चौ वीरेंद्र सिंह ने रविवार सुबह भी विद्रोहियों को मनाने की मुहिम जारी रखी, लेकिन कामयाबी अपेक्षा के मुताबिक नहीं रही। दोपहर वह नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। हाईकमान के निर्देश पर बागी उम्मीदवारों पर तो गाज गिरेगी ही, उनके सपोर्टर रहे सूबे के दिग्गजों के रिपोर्ट कार्ड में भी 'रेड एंट्री' की तैयारी है। पार्टी की खुफिया टीम से इस बारे में फीड बैक लिया जा रहा है। उन पर नजर भी रखी जा रही है।
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