वनीकरण के 42 हजार करोड़ 35 साल से केंद्र सरकार के खाते में डंप
वर्ष 1980 से अब तक वनीकरण कार्यों का 42 हजार करोड़ केंद्र सरकार के खाते में डंप हैं। विकास कार्यों के एवज में जंगलों में जो पेड़ काटे गए, उनकी क्षतिपूर्ति नहीं हो पाई।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: वर्ष 1980 से अब तक वनीकरण कार्यों का 42 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार के खाते में डंप पड़े हैं। यानी इन बीते 35 सालों में विकास कार्यों के एवज में जंगलों में जो पेड़ काटे गए, उनकी क्षतिपूर्ति आज तक नहीं हो पाई है। हालांकि राहत की बात यह कि कैंपा (कंपनसेटरी एफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी) एक्ट बन जाने के बाद अब यह राशि राज्यों को जारी की जा सकेगी। केंद्र सरकार जनवरी 2017 से इसका आवंटन शुरू कर देगी। 42 हजार करोड़ रुपये में से 1500 करोड़ रुपये उत्तराखंड के हिस्से आएंगे। यह वह राशि है जिसे विकास कार्यों से जुड़े विभिन्न विभाग वृक्ष पातन और वनभूमि हस्तांतरण की एवज में केंद्र सरकार को बतौर मुआवजा देते हैं।
सोमवार को दून में मौजूद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के विशेष सचिव व महानिदेशक वन डॉ. एसएस नेगी ने बताया कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 लागू होने के बाद वर्ष 1981 से क्षतिपूरक वनीकरण की राशि मिलने लगी थी। विभिन्न विकास कार्यों में पेड़ों के कटान व वन भूमि हस्तांतरण के एवज में राशि तो मिलने लगी थी, मगर समुचित मात्रा में राशि कभी भी राज्यों को जारी नहीं की जा सकी। स्पष्ट व्यवस्था न हो पाने से वर्ष 1981 से अब तक केंद्र को करीब 57 हजार करोड़ रुपये मिलने के बाद भी सिर्फ 15 हजार करोड़ रुपये वनीकरण कार्यों में खर्च किए जा सके।
यह राशि भी विभिन्न मसलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कामचलाऊ व्यवस्था बनाकर जारी की जा सकी। डॉ. नेगी ने बताया कि अब कैंपा एक्ट बन जाने से वनीकरण के अधूरे पड़े कार्यों को करीब साढ़े तीन दशक बाद पूरा किया जा सकेगा। विशेष सचिव डॉ. एसएस नेगी ने बताया कि 42 हजार करोड़ रुपये में से जिस भी राज्य को जो हिस्सा जाएगा राज्य सरकारों उसे अन्यत्र खर्च नहीं कर पाएंगे। खास बात यह कि राशि लैप्स भी नहीं होगी।
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ब्याज के साथ मिलेगा धन
उदाहरण के लिए यदि कोई कार्य 10 साल पहले किया गया तो उसके क्षतिपूरक वनीकरण के लिए उसी समय के हिसाब से बजट स्वीकृत है। हालांकि, इस अवधि में संबंधित राशि पर जो भी ब्याज बना होगा, उसे भी उस राशि में जोड़कर संबंधित राज्य को दिया जाएगा।
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घपले की गुंजाइश होगी खत्म
42 हजार करोड़ रुपये अब भले ही राज्यों को बेहद आसानी से मिल जाएंगे, मगर इसमें एक पैसे का भी गोलमाल नहीं हो पाएगा। विशेष सचिव डॉ. नेगी के मुताबिक यह जानकारी मंत्रालय के पास पहले से है कि किन विकास कार्यों के एवज में कहां पर कितना वनीकरण किया जाना है। वनीकरण की धरातलीय निगरानी के लिए सौ फीसद अचूक सेटेलाइट व्यवस्था से निगरानी की जाएगी और बजट के हिसाब के लिए कैग से ऑडिट कराया जाएगा।
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