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आठ साल में भारत में हुआ 215 बाघों का शिकार, पढ़ें

देश में बाघ संरक्षण को भले ही ठोस प्रयास चल रहे हों और इसके नतीजे भी सुखद आए हों, लेकिन बाघों पर मंडरा रहे खतरे को टालने की दिशा में ठोस पहल नहीं हो पाई है। बाघों के शिकार के सामने आ रहे मामले इसकी तस्दीक हो रही है। गुजरे

By sunil negiEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 12:22 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 05:20 PM (IST)
आठ साल में भारत में हुआ 215 बाघों का शिकार, पढ़ें

केदार दत्त, देहरादून। देश में बाघ संरक्षण को भले ही ठोस प्रयास चल रहे हों और इसके नतीजे भी सुखद आए हों, लेकिन बाघों पर मंडरा रहे खतरे को टालने की दिशा में ठोस पहल नहीं हो पाई है। बाघों के शिकार के सामने आ रहे मामले इसकी तस्दीक हो रही है। गुजरे आठ साल के वक्फे को ही लें तो देश में 215 बाघों का शिकार हुआ। इसमें 15 बाघ उत्तराखंड में मारे गए। चार खालों और हड्डियों की बरामदगी को जोड़ दें तो यह आंकड़ा करीब 20 बैठता है। यानी हर साल दो से ज्यादा बाघों का शिकार हो रहा है।

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बाघ संरक्षण के मामले में उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर है। यहां बाघों की संख्या 340 है। बाघों के घनत्व के मामले में कार्बेट टाइगर रिजर्व देश में अव्वल है। राष्ट्रीय पशु के संरक्षण के लिहाज से यह आंकड़े सुकून देने वाले हैं। लेकिन, बाघों के अवैध शिकार पर यहां भी अंकुश नहीं लग पाया है।

खासकर, बावरिया गिरोहों के निशाने पर यहां के बाघ हमेशा से रहे हैं। कई मौकों पर बात सामने आ चुकी है कि उत्तराखंड में बाघों का शिकार सीमा पार बैठे अंतर्राष्ट्रीय माफिया के इशारे पर हुआ। बावजूद इसके शिकारियों व तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में प्रभावी पहल अब तक नहीं हो पाई है।

इस संबंध में उत्तराखंड के मुख्य वन सरंक्षक डॉ.धनंजय मोहन ने बताया कि बाघों का शिकार निश्चित रूप से चिंता का विषय है। हालांकि, शिकारियों-तस्करों पर नकेल कसने को पेट्रोलिंग, जीपीएस बेस पेट्रोलिंग, खुफिया तंत्र की मजबूती को कदम उठाए गए हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड से लगे प्रदेशों से समन्वय, वन्यजीव अपराधियों के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान जैसे कदम उठाए जा रहे हैं। यही नहीं, बावरिया गिरोहों के 104 सदस्यों की सूची भी तैयार की गई है।

वहीं, वाइल्डलाइफ प्रोक्टेशन सोसायटी आफ इंडिया के मैनेजर टीटू जोसफ ने बताया कि पिछले कई सालों के रिकार्ड को देखें तो उत्तराखंड में रिस्क बहुत ज्यादा है। बाघ सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि लैंसडौन, तराई ईस्ट-वेस्ट, रामनगर वन प्रभाग, राजाजी पार्क आदि क्षेत्रों पर विशेष निगाह रखनी होगी।

150 शिकारियों की सूची जारी
देशभर में टाइगर पोचर्स का जाल किस कदर फैला है, इसका अंदाजा नेशनल वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की ओर से जारी शिकारियों के डेटा बेस से लगाया जा सकता है। ब्यूरो ने देशभर में सक्रिय 150 शिकारियों की सूची तैयार की है। यह सूची देश के उन सभी राज्यों के वन महकमों को सौंपी गई है, जहां टाइगर हैं।

उत्तराखंड में बाघों का शिकार
वर्ष-शिकार-खाल बरामदगी
2009-0-1
2010-1-0
2011-1-1
2012-3-0
2013-8-0
2014-1-0
2015-1-2
2016-0-0 (अब तक)
(स्रोत: वाइल्डलाइफ प्रोक्टेशन सोसायटी आफ इंडिया)
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