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आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर में पढ़ाई चौपट

जागरण संवाददाता, देहरादून: आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए भले ही सरकार लाख बातें कर रही हो, लेकिन उत

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Nov 2017 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 18 Nov 2017 01:00 AM (IST)
आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर में पढ़ाई चौपट
आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर में पढ़ाई चौपट

जागरण संवाददाता, देहरादून: आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए भले ही सरकार लाख बातें कर रही हो, लेकिन उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर और गुरुकुल व ऋषिकुल परिसर में शैक्षणिक पदों के सापेक्ष प्रदेश भर से 32 आयुर्वेद चिकित्साधिकारी संबद्ध किए गए थे। जिनकी संबद्धता शासन से समाप्त कर दी गई है। जिनके मूल तैनाती पर लौटने से पढ़ाई चौपट समझिए। हद ये है कि मुख्य परिसर में अब सिर्फ तीन डॉक्टर रह जाएंगे।

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सेंट्रल काउंसिल फॉर इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) के संबद्धता के मानकों को पूरा करने के लिए विवि ने प्रदेशभर से आयुर्वेद डॉक्टरों को विवि के मुख्य परिसर और ऋषिकुल व गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में संबद्ध किया था। अब जबकि, संबद्धता मिल गई है उन्हें वापस तैनाती स्थल भेज दिया गया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। जबकि, विवि में अभी तक पर्याप्त फैकल्टी की कोई व्यवस्था नहीं है। आलम यह है कि मुख्य परिसर में छात्रों को पढ़ाने के लिए विवि के पास फैकल्टी तक नहीं है। विवि के मुख्य परिसर में इस वक्त बीएएमएस के दो बैच चल रहे हैं। जिनमें कुल 120 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। यहां अध्यापन प्रदेश भर से संबद्ध आयुर्वेद चिकित्साधिकारी कर रहे हैं। जिनके असंबद्ध होने से अब छात्रों को भारी परेशानिया झेलनी पड़ रही है।

मान्यता के लिए डॉक्टरों को किया जाता रहा अटैच: पिछले काफी वक्त से विवि की ओर से संबद्धता हासिल करने केलिए प्रदेश भर के आयुर्वेद चिकित्सकों को बतौर फैकल्टी विवि से अटैच किया जाता रहा है। नई सरकार में आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के आदेश पर सभी अटैचमेंट निरस्त कर दिए गए थे। चिकित्सकों को वापस मूल तैनाती स्थल भेज दिया गया। इसी बीच विवि में नए सत्र की मान्यता के लिए सीसीआइएम की टीम निरीक्षण के लिए पहुंच गई। जिसमें आनन-फानन में चिकित्सकों के पुन: संबद्धता के आदेश कर दिए गए। अब फिर इनकी संबद्धता समाप्त कर दी गई है। चिकित्सकों की माने तो वह भी इस व्यवस्था से आजिज आ गए हैं। उनका कहना है कि सरकार उन्हें एक बारगी संबद्ध कर दे या असंबद्ध। विवि में लंबे वक्त तक अटैच रहने के कारण ज्यादातर चिकित्सकों के बच्चों ने भी दून के स्कूलों में दाखिले ले लिए। परिवार भी यही रहते लगे हैं।

पढ़ाई हो रही चौपट

मान्यता हासिल करने के लिए विवि भले ही इधर-उधर के चिकित्सकों के जरिये सीसीआइएम से अनुमति हासिल करता आ रहा है। लेकिन, इस पूरे खेल में बच्चों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। फैकल्टी की संख्या पर्याप्त न होने के कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ाई चौपट हो रही है। विवि ने कुछ माह पूर्व फैकल्टी की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन यह भी अब तक मुकाम पर नहीं पहुंची है।

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संबद्धता मामले में शासन से अनुरोध किया जाएगा कि जब तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं होती तब तक चिकित्सकों को विवि से ही अटैच रखा जाए। नियुक्ति प्रक्रिया के तहत आवेदन पत्रों की स्क्रूटनी चल रही है। नियुक्ति प्रक्रिया भी जल्द पूरी होगी।

प्रो. अनूप कुमार गक्खड़, कुलसचिव आयुर्वेद विश्वविद्यालय


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