साल में एक बार जरूर उत्तराखंड आएं प्रवासी
राज्य ब्यूरो, देहरादून विदेशों में रह रहे प्रवासी साल में एक बार किसी न किसी मौके पर अपने घर उत्तर
राज्य ब्यूरो, देहरादून
विदेशों में रह रहे प्रवासी साल में एक बार किसी न किसी मौके पर अपने घर उत्तराखंड अवश्य आएं। साथ ही राज्य के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने जापान, सिंगापुर व हांगकांग की यात्रा के दरम्यान राज्य के प्रवासी लोगों से मुलाकात में उनसे यह अपील की। उन्होंने बताया कि खासकर जापान में रह रहे प्रवासियों ने पर्यटन विकास में रुचि दिखाई। इसके लिए वह प्रवासियों और राज्य सरकार के बीच सेतु बनेंगे।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित 63वें कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन (सीपीए) के सम्मेलन और संसदीय अध्ययन भ्रमण के दौरान सिंगापुर, हागकाग व जापान की यात्रा से लौटने के बाद विस अध्यक्ष अग्रवाल ने शुक्रवार को देहरादून में पत्रकारों से बातचीत में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि विदेशों खासकर जापान में उत्तराखंड के लोग अच्छी प्रगति कर रहे हैं। इनसे मुलाकात के दौरान उन्होंने राज्य में विकास में भागीदारी की अपील की। बताया कि प्रवासी पर्यटन के क्षेत्र में निवेश के इच्छुक हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि सरकार कुछ सुविधाएं भी प्रदान करे। इस कड़ी में वह प्रवासियों और सरकार व शासन के मध्य वार्ता के लिए प्रयास करेंगे।
मानकों के अनुरूप ही होंगे कार्य
एनजीटी की ओर से गैरसैंण में विस भवन के निर्माण में आपत्ति जताए जाने संबंधी सवाल पर विस अध्यक्ष ने कहा कि यह निर्माण कार्य उनके कार्यकाल से पहले का है। ये सवाल तब उठना चाहिए था, जब कार्य प्रारंभ हुआ था। फिर भी वह प्रकरण का गहनता से अध्ययन कर विशेषज्ञों से बात करेंगे और एनजीटी के मानकों का कहीं उल्लंघन हुआ है तो उन्हें दूर किया जाएगा। साथ ही आगे जो कार्य होंगे, वे एनजीटी के मानकों के अनुरूप ही किए जाएंगे।
सात दिसंबर से ही होगा सत्र
विस अध्यक्ष ने कहा कि एनजीटी की आपत्ति के मद्देनजर गैरसैंण में सात दिसंबर से प्रस्तावित सत्र पर कोई असर नहीं पड़ेगा। फिलहाल, स्थान परिवर्तन की संभावना नहीं है और सत्र सात दिसंबर से ही चलेगा।
क्षमता से अधिक नहीं होगा खर्च
पिछले विस सत्र की व्यवस्थाओं से संबंधित कार्याें का भुगतान न होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस बार स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि क्षमता के दायरे में रहकर ही कार्य किए जाएं। प्रयास यही रहेगा कि किसी भी मामले में क्षमता से अधिक खर्च न हो।