नरक चतुर्दशी पर की गर्इ हनुमान और यम की पूजा
आज नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली है। इस दिन हनुमान का जन्म भी हुआ था। आज के दिन हनुमान, यमराज और लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए विधि विधान का ध्यान रखें।
देहरादून, [जेएनएन]: कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (छोटी दीपावली) को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। आज नरक चतुर्दशी को हनुमान, यमराज और लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना की तैयारी में श्रद्धालु जुट गए हैं। बजरंग बली का जन्म भी इसी दिन हुआ था।
आचार्य सुशांत राज के अनुसार इसी दिन अर्धरात्रि में हनुमान जी का जन्म अंजनादेवी के उदर से हुआ था। हर तरह के सुख, आनंद और शांति की प्राप्ति के लिए बजरंग बली हनुमान की उपासना लाभकारी है। इस दिन शरीर पर तिल के तेल की उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए।
इसके बाद हनुमान की विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हुए उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए। आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की भी पूजा की जाती है। यमराज के निमित्त एक दीपक दक्षिण दिशा की ओर मुख कर जलाया जाता है, जिससे यमराज खुश रहें। अकाल मृत्यु न हो और नरक के बजाय विष्णुलोक में स्थान मिले।
ये है कथा
प्रचलित कथा के अनुसार एक राजा को जब यमदूत नरक के लिए लेने आया तो, राजा ने नरक में जाने का कारण पूछा। यमदूत ने बताया कि उसने एक ब्राह्मण को द्वार से भूखा लौटा दिया था। राजा यमदूत से एक वर्ष का समय मांगता और यमदूत उसे समय दे देते हैं। इसके बाद राजा ऋषियों के पास पहुंचता है और पूरा वृतांत बताता है। ऋषियों के कहने पर राजा कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को व्रत करता है और ब्राह्मणों को भोज कराता है। इसके बाद राजा को नरक के बजाय विष्णुलोक में स्थान मिलता है। तब से ही इस दिन यमराज की विशेष पूजा की जाती है।
स्नान और दीपदान का मुहूर्त
अभ्यंग स्नान का मुहूर्त सूर्योदय से पूर्व और चंद्रमा के उदय रहते हुए सुबह 04.47 से सुबह 06.27 तक रहा। इसकी अवधि एक घंटे 40 मिनट थी। यम दीपदान का पूजन मुहूर्त शाम 6 से शाम 7 बजे तक रहेगा। यम दीपदान के लिए चार बत्ती वाला मिट्टी का दीपक घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए।
नरक चतुर्दशी के दिन पूजा करने की विधि
-नरक से बचने के लिए इस दिन सूर्योदय से पहले शरीर में तेल की मालिश करके स्नान किया जाता है।
-स्नान के दौरान अपामार्ग की टहनियों को सात बार सिर पर घुमाना चाहिए।
-टहनी को सिर पर रखकर सिर पर थोड़ी सी साफ मिट्टी रखें लें।
-अब सिर पर पानी डालकर स्नान करें।
-इसके बाद पानी में तिल डालकर यमराज को तर्पण दिया जाता है।
-तर्पण के बाद मंदिर, घर के अंदरूनी हिस्सों और बगीचे में दीप जलाने चाहिए।
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