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पूर्व सूचना आयुक्त से लाखों की धोखाधड़ी, आरटीआइ में खुलासा

पूर्व सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल से धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। बेटे के एडमिशन के नाम पर उनसे पांच लाख की धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया।

By raksha.panthariEdited By: Published: Tue, 17 Oct 2017 05:11 PM (IST)Updated: Tue, 17 Oct 2017 09:05 PM (IST)
पूर्व सूचना आयुक्त से लाखों की धोखाधड़ी, आरटीआइ में खुलासा
पूर्व सूचना आयुक्त से लाखों की धोखाधड़ी, आरटीआइ में खुलासा

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: पूर्व सूचना आयुक्त और वर्तमान में हाईकोर्ट में उप महाधिवक्ता विनोद नौटियाल से बेटे के एमबीबीएस में दाखिले के नाम पर पांच लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला प्रकाश में आया है। पुलिस ने मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। 

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जानकारी के मुताबिक उपमहाधिवक्ता हाईकोर्ट व पूर्व सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल के बेटे सौरभ नौटियाल ने मेडिकल के लिए एंट्रेस एग्जाम दिया था। बताया जा रहा है कि मैरिट लिस्ट में उनका नाम नहीं आया था। उप महाधिवक्ता के मुताबिक सितंबर 2016 में  डॉ. अनिरूद्ध नाम के एक व्यक्ति का उनके पास फोन आया। बताया कि मैरिट लिस्ट कम हो गई है। जिसमें उनके बेटे का नाम आ गया है। दो दिन बाद उसकी काउंसिलिंग पटेलनगर स्थित एक संस्थान में होनी है। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को काउंसिलिंग के लिए भेजा। जहां उनके बेटे को एक लेटर दिया गया और कहा गया कि उनका एक निजी कॉलेज में प्रवेश हो गया है। प्रवेश के दौरान 13 लाख रुपये लगेंगे। फिलहाल पचास हजार रुपये कॉलेज में जमा करने होंगे। पीड़ित के मुताबिक उन्हों पचास हजार रुपये बताए गए निजी संस्थान में जमा करा दिए। इसके बाद राहुल वैष्णोई और लोकेश पांडे नाम के दो व्यक्ति उनके पास आए और पांच लाख रुपये की मांग की। जो उन्होंने दोनों को दे दिए। बाद में जब वह बेटे के साथ प्रवेश के लिए संस्थान में पहुंचे तो पता चला कि उनके बेटे का वहां नाम नहीं है। संस्थान से पूछताछ में पता चला कि उनके स्थान पर दूसरे लड़के का प्रवेश हो गया है। जिसके बाद उन्होंने आरोपियों से रुपये वापस मांगे तो वे आनाकानी करने लगे। 

शिकायत पर जांच कर नेहरू कॉलोनी पुलिस ने रविवार रात को पिरान कलियर निवासी राहुल वैष्णोई, ऋषिकेश सीमा डेंटल कॉलेज के पदाधिकारी ऋषिकेश निवासी डॉ. अनिरुद्ध और श्यामपुर ऋषिकेश निवासी लोकेश पांडे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।  

वहीं धोखाधड़ी के इस मामले को लेकर पूर्व सूचना आयुक्त और उपमहाधिवक्ता विनोद नौटियाल ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने धोखाधड़ी की शिकायत एक साल पूर्व 28 सितंबर 2016 को दर्ज की थी। इसके बाद जांच के नाम पर पुलिस उन्हें टरकाती रही। जब न तो उनके रुपये वापस मिले और न ही आरोपियों पर कार्रवाई हुई तो इसके बाद उन्होंने सूचना के अधिकार में मामले में अब तक हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी। जिसके बाद ही पुलिस ने रविवार शाम को मुकदमा दर्ज किया। उनका कहना है कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी की सुनवाई किस तरह से होती होगी। हालांकि इस मामले में पुलिस का कहना है कि पीडि़त के कहने पर ही मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। इसमें लेटलतीफी जैसी कोई बात नहीं है। उनसे मामले को लेकर लगातार बात होती रही। एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि इस मामले में थाना नेहरू कॉलोनी से जानकारी प्राप्त की जाएगी कि आखिर शिकायत के बाद मुकदमा दर्ज क्यों नहीं हुआ। 

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