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उत्‍तराखंड: यूएपीएमटी के तहत दाखिले का काउंटडाउन शुरू

यूएपीएमटी 2017 के तहत भारतीय कोटे की सीटों पर प्रवेश के लिए 24 सितंबर को पंजीकरण व दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद 25 सितंबर को सीट आवंटित की जाएगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 21 Sep 2017 04:32 PM (IST)Updated: Thu, 21 Sep 2017 09:08 PM (IST)
उत्‍तराखंड: यूएपीएमटी के तहत दाखिले का काउंटडाउन शुरू
उत्‍तराखंड: यूएपीएमटी के तहत दाखिले का काउंटडाउन शुरू

देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड आयुष प्री मेडिकल टेस्ट (यूएपीएमटी) 2017 के तहत राज्य आयुष सीटों पर दाखिले के लिए काउंसिलिंग की तिथियां घोषित कर दी गई हैं। इसके साथ ही एआइएपीजीईटी 2017 की सीटों के आवंटन को लेकर भी प्रक्रिया शुरू होने जा रही है।

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उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित किए गए यूएपीएमटी प्रवेश परीक्षा पास करने वाले युवाओं को अब काउंसिलिंग के जरिये सीटों का आवंटन होना है। इसी क्रम में काउंसिलिंग की तिथियों की घोषणा की गई है। विवि के कुलसचिव प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ ने बताया कि यूएपीएमटी 2017 मेरिट के आधार पर बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस पाठ्यक्रमों में राज्य कोटे/अखिल भारतीय कोटे की सीटों पर प्रवेश के लिए 24 सितंबर को पंजीकरण व दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद 25 सितंबर को सीट आवंटित की जाएगी।

पीजी काउंसिलिंग के तहत एमडी एमएस आयुर्वेद पाठ्यक्रम में राज्य कोटे की सीटों पर प्रवेश हेतु 25 सितंबर को पंजीकरण व अभिलेख सत्यापन होगा। इसके बाद 26 सितंबर को सीट आवंटन किया जाएगा। काउंसिलिंग मुख्य परिसर में आयोजित होगी। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए छात्र विवि की वेबसाइट पर लॉगइन कर काउंसिलिंग से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

बिना संबद्धता कैसे होगा प्रवेश 

उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में आ गई है। इस बार मामला यूएपीएमटी के तहत सीट आवंटन को लेकर है। निजी कॉलेजों को विश्वविद्यालय से प्रत्येक वर्ष संबद्धता लेनी होती है, लेकिन अभी किसी भी कॉलेज की संबद्धता नहीं हुई है।

राज्य में किसी भी निजी संस्थान को हाल में आयुर्वेद विश्वविद्यालय से शैक्षणिक सत्र 2017-18 की संबद्धता प्राप्त नही है। जबकि यूजीसी रेगुलेशन 2009 और उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी परिनियमावली 2015 के अनुसार प्रत्येक वर्ष संबद्धता लेना अनिवार्य है। मानकों के तहत सभी संस्थाओं को एक लाख रुपये प्रोसेसिंग फीस जमा कर आवेदन करना होता है। उसके बाद निर्धारित मानकों की जांच कर रिपोर्ट तैयार की जाती है जो विवि को प्रदान की जाती है।

कुलपति के अनुमोदन के बाद मामले को विवि कार्यसमिति में रखा जाता है। मौजूदा स्थिति में विश्वविद्यालय के अंदर कार्यसमिति तो बहुत दूर, कोई भी समिति नही है। सारे निर्णय मात्र प्रभारी कुलपति और कुलसचिव ही ले रहे हैं। ऐसे में नियमों के नजरिए से यह पूरी प्रक्रिया अवैध है। हालांकि विवि के कुलसचिव डॉ. अनूप कुमार गक्खड़ का कहना है कि कॉलेजों का निरीक्षण शुरू करा दिया गया है।

अगले दो दिनों में संस्थानों की जांच पूरी कर ली जाएगी। 23 सितंबर तक मामले में अंतिम रिपोर्ट मिल जाएगी। उनका कहना है कि जो कॉलेज मानक पूरे करेगा उसी को काउंसिलिंग में शामिल किया जाएगा।

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