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पावन शारदीय नवरात्र पर्व शुरू, इन मंत्रों का करें जाप

शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गए हैं। इसके लिए शहर के तमाम मंदिर सज गए हैं। आज सुबह घरों व मंदिरों में घट स्थापना के बाद हरियाली के लिए जौ बोए गए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 21 Sep 2017 02:14 PM (IST)Updated: Thu, 21 Sep 2017 09:08 PM (IST)
पावन शारदीय नवरात्र पर्व शुरू, इन मंत्रों का करें जाप
पावन शारदीय नवरात्र पर्व शुरू, इन मंत्रों का करें जाप

देहरादून, [जेएनएन]: शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गए हैं। इसके लिए शहर के तमाम मंदिर सज गए हैं। बुधवार को पूजन सामग्री की खरीददारी के लिए बाजारों में दिनभर भीड़ जुटी रही। आज सुबह घरों व मंदिरों में घट स्थापना के बाद हरियाली के लिए जौ बोए गए। साथ ही दुर्गा सप्तशती पाठ का शुभारंभ हो गया। मंदिरों में प्रतिदिन भजन संध्या का भी कार्यक्रम है। नवमी 29 सितंबर और दशहरा 30 सितंबर को मनाया जाएगा। 

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 ऐसे करें घट स्थापना

आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया कि मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें हरियाली के प्रतीक जौ बोएं। इसके बाद सोने, मिट्टी या तांबे के कलश पर स्वास्तिक बनाएं। पूजा गृह के पूर्वोत्तर भाग में विधि-विधान के साथ कलश स्थापित करें। श्रीफल, गंगाजल, चंदन, सुपारी पान, पंचमेवा, पंचामृत आदि से शक्ति की आराधना करें।

 इन मंत्रों का करें जाप

-या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थित:, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:

-सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वित:, मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय:

 कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

21 सितंबर को दोपहर में 12 से तीन बजे के मध्य लाभ व अमृत का समय है।

 माता वैष्णो देवी मंदिर में आज से विशेष पूजा

माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर टपकेश्वर में 21 सितंबर को प्रात: विशेष पूजा-अर्चना होगी। उसके बाद नवरात्र तक हर दिन श्री शत चंडी अनुष्ठान होगा। गुरुवार दोपहर दो बजे कलश यात्रा माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर टपकेश्वर से टपकेश्वर कॉलोनी, टपकेश्वर चौक, डाकरा बाजार, गढ़ी कैंट चौक, नींबूवाला होते वापस गुफा में पहुंचेगी। कथा वक्ता आचार्य खीमानंद भट्ट प्रतिदिन श्रीमद् देवी भागवत का प्रवचन करेंगे। 

 सनातन धर्म मंदिर में डांडिया रास

श्री सनातन धर्म मंदिर प्रेमनगर में युवतियों व महिलाओं के लिए डांडिया रास का आयोजन किया जाएगा। आज मंदिर में महिला संकीर्तन मंडल द्वारा भजन कीर्तन किया जाएगा। 

 आज सुबह हुई घटस्थापना

दिगंबर भागवत पुरी ने बताया कि आज सुबह श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में घटस्थापना की गई। जौ बोए गए, नौ दिनों के लिए अखंड ज्योत प्रज्वलित की गई।

 बाजारों में छाई रौनक

नवरात्र को लेकर बुधवार सुबह से ही बाजार गुलजार रहे। लोग पूजन से संबंधित तमाम तरह की सामग्री खरीदने बाजार में उमड़ पड़े। पशुपति पूजा ट्रेडर्स के मालिक मनीष गुप्ता के अनुसार बाजार में आई मां दुर्गा की नए-नए डिजाइन की प्रतिमाएं श्रद्धालुओं को खूब पसंद आ रही हैं। 

पूजन सामग्री के दाम

सामग्री------------------------दाम

रोली-मौली-----------------5 से 20 रुपये

माता का शृंगार----------10 से 350 रुपये

पंचमेवा-------------------20 से 250 रुपये

सुपारी---------------------1 से 10 रुपये प्रति पीस

बताशे----------------------60 रुपये किलो

मूर्तियां---------------------150 से 4500 रुपये

श्रीफल-----------------------25 रुपये

मिट्टी के दीये----------------2 से 100 रुपये तक

माता की चुनरी--------------5 से 1800 रुपये तक

माला------------------------10 से 250 रुपये तक

धूप बत्ती-------------------10 से 300 रुपये तक

नौ रात्रियों का सम्मिश्रण है नवरात्र

गुरुवार से मां आदि शक्ति भगतवती की पूजा अर्चना का पर्व शुरू हो गया है। नवरात्र शब्द में संख्या और काल का अद्भुद सम्मिश्रण है। नौ अंक को ब्रह्म अंक माना गया है। इसलिए, देवी के इन नौ दिनों में पूजा अर्चना का विशेष फल प्राप्त होता है। अबकी नवरात्र पूरे नौ दिन की है, दसवें दिन दशमी यानि दशहरा है। 

ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री ने बताया कि नवरात्र पर्व में नौ अंक का विशेष महत्व है। 'नवानां रात्रिणां समाहारा: नवरात्रम्।' अर्थात नौ रात्रियों के सम्मिश्रण का नाम नवरात्र हैं। यह नौ की संख्या अखण्ड, अविकारी, एकरस परम ब्रह्म है। नौ अंक एक पूर्ण संख्या है। धर्म में इसे पूर्णाक कहा जाता है। मां के भी नौ रूप 'शैलपुत्री', 'ब्रह्मचारिणी','चंद्रघण्टा','कुषमाण्डा','स्कंदमाता', 'कात्यायनी','कालरात्रि','महागौरी', और 'सिद्धीदात्री' हैं। इसी प्रकार शास्त्रों में वर्णन है कि आदि मां भगवती के इन्हीं रूपों  से ही सब कुछ उत्पन्न हुआ और सब मां भगवती में ही समाहित हो जाएगा। इसलिए, इस पर्व में पूजा अर्चना का मां विशेष फल प्रदान करती हैं। 

ज्योतिषाचार्य दीप्ति शर्मा श्रीकुंज ने बताया श्री देवी भागवत में संवत्(वर्ष) में चार नवरात्रों का स्पष्ट वर्णन मिलता है। पहला चैत्र नवरात्रे, दूसरा आषाढ़ नवरात्र, तीसरा आश्विन नवरात्र और चौथा माघ नवरात्र है। लेकिन, कालांतर में चैत्र और आश्विन नवरात्रों के उत्सव मनाने की परंपरा चल गई। इसलिए बाकि दो नवरात्रों को गुप्त नवरात्र और चैत्र और आश्विन के नवरात्रों को प्रकट नवरात्र कहा जाने लगा। श्री दुर्गासप्तशती के अनुसार आदि शक्ति मां भगवती ने ही नवरात्रों में पूजा अर्चना और घट स्थापना आदि की विधि बताई है। नौ दिनों में किए गए विधि पूर्वक पूजन के बाद हवन आदि का विधान भी स्वयं देवी ने ही बताया है। ऐसा करना विशेष फलदायी होता है।

शारदीय नवरात्र शुरू, दुर्गा मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु; देखें तस्वीरें

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