महंगी हो सकती है अंत्योदय के लिए चीनी
राज्य ब्यूरो, देहरादून राज्य में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे अंत्योदय योजना कार्डधारकों को
राज्य ब्यूरो, देहरादून
राज्य में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे अंत्योदय योजना कार्डधारकों को सस्ती चीनी देने के केंद्र सरकार ने निर्देश भले ही जारी कर दिए हों, लेकिन बदली परिस्थितियों में चीनी का कोटा सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। इस वजह से इस पर फैसला लेने में वक्त लग रहा है। राज्य सरकार ने मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाए तो इस अति निर्धन तबके को भी महंगी चीनी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
राज्य में अंत्योदय योजना के करीब 1.84 लाख राशनकार्डधारक हैं। अंत्योदय परिवारों को राशन की सस्ती चीनी मिलने पर बीते अप्रैल माह से पाबंदी लगी थी। अब यह पाबंदी केंद्र सरकार ने दूर कर दी है। लेकिन नई शर्तो के साथ हटाई गई पाबंदी ने राज्य सरकार की परेशानी में इजाफा कर दिया है। केंद्र सरकार ने अंत्योदय परिवारों को प्रति यूनिट 500 ग्राम चीनी के बजाए सिर्फ एक कार्ड पर एक किलो चीनी देने का फैसला किया है। इस संबंध में केंद्र की गाइडलाइन राज्य को भी मिल चुकी है। नई गाइडलाइन के चलते राज्य के हिस्से में अंत्योदय परिवारों के लिए एक किलो प्रति कार्ड के हिसाब से कुल करीब 1840 कुंतल चीनी आनी है।
चीनी की ये कम मात्रा परेशानी की वजह बन गई है। दरअसल, पहले इस योजना में राज्य के लिए 60 हजार कुंतल का कोटा निर्धारित था। अब यह कोटा बेहद कम होने के चलते राज्य में विभिन्न जिलों को अंत्योदय परिवारों के हिसाब से कुछ कुंतलों में ही चीनी मिलनी है। अंत्योदय परिवारों की संख्या दूरदराज में भी है। कम संख्या में चीनी पहुंचाने के लिए ज्यादा ढुलान भाड़ा बड़ी समस्या के रूप में खड़ा हो गया है। अब यदि इस ढुलान भाड़े को जोड़ा गया तो अंत्योदय परिवारों को चीनी के मौजूदा मूल्य से ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। वर्तमान में इस योजना के तहत राज्य सरकार को 3200 रुपये प्रति कुंतल की दर पर चीनी मिल रही है। ढुलान भाड़ा जुड़ने पर चीनी की कीमत प्रति कुंतल औसतन 3500 रुपये तक पहुंच सकती है। ऐसे में बढ़े मूल्य का बोझ गरीब परिवारों पर पड़ सकता है।
इस बोझ को राज्य सरकार के वहन करने की स्थिति में ही उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। चूंकि इस योजना के लिए चीनी की खरीद चीनी महकमे से की जानी है, ऐसे में खाद्य महकमे की ओर से गन्ना व चीनी विभाग को पत्रावली भेजी गई है। गन्ना व चीनी विभाग की ओर से चीनी मिलों के साथ वार्ता कर निर्णय लिया जाना है। फिलहाल इसके चलते यह मामला लटका हुआ है। उधर, खाद्य प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन के मुताबिक इस संबंध में जल्द फैसला लिया जाएगा।