नकली दवाओं की रोकथाम में तंत्र फेल
जागरण संवाददाता, देहरादून: बाजार में घटिया और नकली दवाएं धड़ल्ले से पहुंच रही हैं। रुड़की में बड़े पैमा
जागरण संवाददाता, देहरादून: बाजार में घटिया और नकली दवाएं धड़ल्ले से पहुंच रही हैं। रुड़की में बड़े पैमाने पर नकली दवा बनाने का भंडाफोड़ हुआ, पर सरकारी तंत्र इसकी रोकथाम में सक्षम नहीं है। दरअसल, उत्तराखंड में इस पर नियंत्रण का कोई कारगर सिस्टम है ही नहीं। दवाओं के नमूनों की जाच करने के लिए राज्य की इकलौती लैब की सीमाएं हैं तो ड्रग विभाग में स्टाफ की कमी।
नकली और निम्न गुणवत्ता वाली दवाइयों पर नकेल कसने की जिम्मेदारी औषधि विभाग की है। लेकिन, विडंबना देखिए कि विभाग खुद बीमार है। पर्याप्त ड्रग इंस्पेक्टर न होने के कारण विभाग नियमित कामकाज को भी ठीक ढंग से अंजाम नहीं दे पा रहा है। यूं तो 200 मेडिकल स्टोर और 50 फार्मा कंपनियों पर एक ड्रग इंस्पेक्टर का मानक है। जबकि, स्थिति यह कि सूबे में जिलों की संख्या के बराबर भी ड्रग इंस्पेक्टर नहीं हैं। सूबे में ड्रग इंस्पेक्टर के सात पद अभी खाली है। स्थिति यह कि एक-एक ड्रग इंस्पेक्टर कई-कई जनपद संभाल रहा है।
यह हाल तब है, जब ड्रग इंस्पेक्टर के पास दुकानों के निरीक्षण के साथ अन्य कई काम भी होते हैं। अमूमन लाइसेंस, फार्मा कंपनियों में निरीक्षण, सैंपलिंग समेत न्यायालय संबंधी मामले निपटाना आदि। गत वर्षो में विभाग को संजीवनी देने की जुगत जरूर हुई, पर यह अंजाम तक नहीं पहुंची। कहा यह गया कि ड्रग विभाग का अलग दफ्तर, राज्यभर में पांच क्षेत्रीय कार्यालय, पर्याप्त स्टाफ, प्रयोगशाला का अपग्रेडेशन समेत अन्य जगह भी प्रयोगशाला खोली जाएंगी। लेकिन, यह योजना फाइलों में ही कैद होकर रह गई। रुद्रपुर के राजकीय विश्लेषक प्रयोगशाला में दवाओं के सैंपल भेजे तो जाते हैं, लेकिन स्टाफ और उपकरण न होने की वजह से जाच में देरी होती है।
फाइलों में कैद प्लान
एक ड्रग कंट्रोलर, तीन डिप्टी ड्रग कंट्रोलर, छह असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर, 40 ड्रग इंस्पेक्टर, पाच क्षेत्रीय कार्यालय और रुद्रपुर लैब को अपग्रेड करने के साथ ही अन्य जगह भी प्रयोगशालाओं की स्थापना करने की योजना फाइलों में ही कैद है।
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विभाग में ड्रग इंस्पेक्टर के सात पद खाली चल रहे हैं। जो ड्रग इंस्पेक्टर हैं उन पर काम का दोहरा दबाव है। जहां तक रुड़की में पकड़ी गई नकली दवा का सवाल है, दवा सील कर मामला कोर्ट ले जा रहे हैं।
-ताजबर सिंह जग्गी, औषधि नियंत्रक