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आबकारी मंत्री ने कांग्रेस पर किया पलटवार

राज्य ब्यूरो, देहरादून शराब के मुद्दे ने एक बार फिर सूबे की सियासत को गर्मा दिया है। नई आबकारी नीत

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 01:04 AM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 01:04 AM (IST)
आबकारी मंत्री ने कांग्रेस पर किया पलटवार
आबकारी मंत्री ने कांग्रेस पर किया पलटवार

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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शराब के मुद्दे ने एक बार फिर सूबे की सियासत को गर्मा दिया है। नई आबकारी नीति पर कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की टिप्पणी सरकार को नागवार गुजरी है। आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि पिछली सरकार ने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए राज्य के आबकारी राजस्व का नुकसान किया। डिस्टलरी व बॉटलिंग प्लांट लाइसेंस रेवड़ियों की तरह बांटे गए और बॉटलिंग प्लांट के लिए एक महीने में दो बार चहेतों के पक्ष में नियम बदले गए। भाजपा सरकार की आबकारी नीति पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार कांग्रेस खो चुकी है।

बीते रोज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पत्रकारों से बातचीत में भाजपा सरकारी की आबकारी नीति में खामियों और उससे राजस्व में कमी आने का जिक्र किया था। पूर्व मुख्यमंत्री के प्रहार का सरकार ने जवाब दिया। सोमवार को विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत में आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने नई आबकारी नीति को बेहतर बताते हुए कहा कि पहले चरण में कुल 503 शराब की दुकानों में से 437 यानी 86.8 फीसद दुकानें व्यवस्थित की जा चुकी हैं। इससे राज्य को 1086 करोड़ राजस्व मिलेगा। दूसरे और तीसरे चरणों में शराब की सभी दुकानें व्यवस्थित करने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। शराब की दुकानों से राज्य को कुल 1484 करोड़ का राजस्व मिलना है। इसका बड़ा हिस्सा राज्य को मिलने जा रहा है।

पिछली कांग्रेस सरकार की आबकारी नीति और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए एफएल-टू अनुज्ञापन को बदला। शराब निर्माता कंपनियों को फायदा पहुंचने का प्रयास हुआ। राज्य में शराब के सही ब्रांड न मिलने से अन्य राज्यों से तस्करी से शराब बिक्री हुई। उन्होंने दावा किया कि शराब की दुकानों की बिक्री से 1484 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य हासिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में आबकारी राजस्व घटा। 2014-15 में आबकारी राजस्व 1500 करोड़ तय किया गया, लेकिन राज्य को महज 1486 करोड़ ही मिल पाए। इसी तरह 2015-16 में 2100 करोड़ के लक्ष्य की तुलना में 1736 करोड़ ही मिले। 2016-17 में 2100 करोड़ के लक्ष्य की तुलना में महज 1907.70 करोड़ ही प्राप्त हुए।

उन्होंने बताया कि शराब की दुकानों के लिए आवेदन पत्रों की बिक्री संतोषजनक है। कुल 25992 आवेदन पत्र मिले। पिछली सरकार की एकाधिकारवादी नीति ने राजस्व की हानि हुई। इस मौके पर आबकारी सचिव सीएस नपलच्याल ने बताया कि आबकारी पर सेस लगने के बावजूद सैनिकों व पूर्व सैनिकों के लिए शराब महंगी नहीं हुई है। इस मौके पर आबकारी अपर सचिव युगल किशोर पंत मौजूद थे।


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