विधानसभा के सामने सात मंजिला इमारत
राज्य ब्यूरो, देहरादून आम आदमी को नक्शे पास कराने के लिए भले ही पापड़ बेलने पड़ते हों, लेकिन रसूखदार
राज्य ब्यूरो, देहरादून
आम आदमी को नक्शे पास कराने के लिए भले ही पापड़ बेलने पड़ते हों, लेकिन रसूखदार और पैसों वालों के लिए यह चुटकियों का खेल है। सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करे, लेकिन सरकार की नाक के ठीक सामने सारे नियम कायदों को ताक पर रख सात मंजिला भवन खड़ा कर दिया गया। इतना ही नहीं इस मामले में एमडीडीए भी आंखें मूंदे रहा। विधानसभा के ठीक सामने निर्माणाधीन इस भवन का नक्शा कैसे पास हुआ, इसे लेकर अधिकारियों के पास भी जवाब नहीं है।
विधानसभा, सचिवालय समेत सुरक्षा के लिहाज से संवदेनशील तमाम स्थानों के आसपास निर्माण के लिए इन संस्थाओं या विभागों से अनापत्ति लिए जाने का प्रावधान है। इसी के आधार पर निर्माण की अनुमति दी जाती है, लेकिन विधानसभा के ठीक सामने बन रहे सात मंजिला भवन के मामले में विधानसभा से अनापत्ति तक नहीं ली गई। सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील विधानसभा के ठीक सामने यह निर्माण कार्य उस वक्त शुरू किया गया, जब राज्य में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी और विधानसभा में ज्यादा हलचल नहीं थी। इसी का फायदा उठाते हुए भवन खड़ा कर दिया गया। इस मामले में एमडीडीए अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है।
बिना विधानसभा से अनापत्ति के सात मंजिला भवन के निर्माण की अनुमति कैसे दी गई और अगर अनुमति सात मंजिला भवन के लिए नहीं थी तो अभी तक इस ओर एमडीडीए ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, ये सवाल एमडीडीए की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। अब मामला सामने आने के बाद एमडीडीए में इससे हड़कंप मचा है।
इनसेट
'विधानसभा के सामने सुरक्षा के लिहाज से इतने ऊंचे भवन का निर्माण नहीं किया जा सकता है। इस मामले में एमडीडीए उपाध्यक्ष वी षणमुगम को जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही इस भवन के नक्शे से जुड़ी फाइल तलब की गई है।'
-मदन कौशिक, शहरी विकास एवं आवास मंत्री
'इस भवन के निर्माण को लेकर विधानसभा से कोई अनुमति प्राप्त नहीं की गई है। सुरक्षा के लिहाज से यह भवन खतरा साबित हो सकता है।'
-जगदीश चंद्र, सचिव, विधानसभा