प्रदेश में वाहनों के इंट्री सेस पर असमंजस
विकास गुसाई, देहरादून प्रदेश में आने वाले वाहनों पर लगने वाले इंट्री सेस पर असमंजस बना हुआ है। दरअ
विकास गुसाई, देहरादून
प्रदेश में आने वाले वाहनों पर लगने वाले इंट्री सेस पर असमंजस बना हुआ है। दरअसल, प्रदेश में जीएसटी बिल पास होने के बाद कई प्रकार के टैक्स इसके दायरे में आ जाएंगे। इसमें इंट्री सेस भी शामिल माना जा रहा है। हालांकि इसे लेकर अभी कोई स्पष्ट दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। इसे देखते हुए परिवहन विभाग ने वित्त विभाग को पत्र लिखकर इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया है। वहीं वित्त ने इस मसले पर जीएसटी काउंसिल से स्थिति स्पष्ट करने की बात कही है।
प्रदेश में अन्य राज्यों से आने के कई रास्ते हैं लेकिन परिवहन महकमे की ओर से 19 चेकपोस्ट स्वीकृत हैं। विभाग में कर्मचारियों की कमी के कारण अभी केवल 13 चेकपोस्ट ही सक्रिय हैं। इन चेकपोस्ट से विभाग को तकरीबन पांच करोड़ रुपये की सालाना आई होती है। कुछ समय पूर्व सरकार ने बाहरी राज्यों से आने वाले सभी प्रकार के वाहनों से प्रवेश शुल्क लेने का निर्णय लिया। इसके तहत प्रत्येक वाहन से 30 से लेकर 60 रुपये तक के शुल्क की दरें तय की गई। विभाग को इससे राजस्व बढ़ने की उम्मीद भी जगी। जब सभी चेक पोस्ट को सक्रिय करने की कवायद शुरू हुई तो यह हकीकत सामने आई कि कर्मचारियों की कमी के कारण विभाग यह कार्य अकेले नहीं कर सकता। इसके अलावा चेकपोस्ट वाहनों से अवैध वसूली की शिकायतें भी मिलती हैं। इसके लिए निजी कंपनियों के साथ मिलकर इंट्री सेस वसूलने पर विचार किया गया। यह प्रक्रिया अभी भी गतिमान है। अब प्रदेश में जीएसटी लागू होने जा रहा है। अब विभाग इस असमंजस मे है कि इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए या फिर रोका जाए। इसके लिए परिवहन विभाग की ओर से वित्त विभाग को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया गया है। सचिव परिवहन सीएस नपलच्याल का कहना है कि इसके लिए वित्त विभाग को पत्र लिखा जा रहा है ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। उधर, सचिव वित्त अमित नेगी का कहना है कि वैसे तो इंट्री सेस भी इस दायरे में आ सकता है लेकिन फिर भी इस मसले को जीएसटी काउंसिल को रेफर किया जाएगा।