ढाई से लेकर चौदह सालों से सरकारी आवासों पर काबिज
राज्य ब्यूरो, देहरादून पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास की सुविधा समाप्त किए जाने और इनसे किराए
राज्य ब्यूरो, देहरादून
पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास की सुविधा समाप्त किए जाने और इनसे किराए की वसूली की स्थिति में सरकार को खासी बड़ी धनराशि हासिल हो सकती है। पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों में से एक तो पिछले चौदह और दूसरे नौ साल से सरकारी आवास पर काबिज हैं। अब यह सरकार पर निर्भर है कि वह पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवासों के किराए के निर्धारण के लिए क्या फार्मूला अमल में लाती है।
पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास की सुविधा खत्म किए जाने को लेकर सख्त नैनीताल हाईकोर्ट ने अब साफ कर दिया है कि किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री को आगामी 16 दिसंबर, यानी लगभग पौने दो महीने से ज्यादा मोहलत नही दी जाएगी। कुछ और वक्त मांग रहे पूर्व मुख्यमंत्रियों को इससे बड़ा झटका इस बात से लग सकता है कि हाईकोर्ट ने इनसे मुख्यमंत्री कार्यकाल के बाद सरकारी आवासों पर काबिज रहने की ऐवज में किराया वसूलने की भी बात कही है और इस बारे में सरकार से जानकारी मांगी है कि इनसे कितना किराया वसूला जाएगा।
दरअसल, उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश की भूतपूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमावली-1997 ही लागू है। इस नियमावली को सुप्रीम कोर्ट गत एक अगस्त को खारिज कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो माह के भीतर आवंटित सरकारी आवासों को खाली कर उसका कब्जा राज्य सरकार को सौंपने और प्रत्येक पूर्व मुख्यमंत्री से आवंटित आवास की तिथि से किराया वसूल करने के संबंध में आदेश पारित कर चुका है। नैनीताल हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सुविधा देने के खिलाफ एक जन हित याचिका पर सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में लिए गए फैसले के बारे में अवगत कराने को कहा था। सरकार ने पिछले ही हफ्ते आदेश जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो माह के भीतर सरकारी आवास खाली करने का नोटिस जारी कर दिया था।
जिन पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब सरकारी आवास खाली कर इसका किराया भरना होगा, उनमें सर्वाधिक समय राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को हुआ है। कोश्यारी मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पिछले 14 साल और सात महीने से ज्यादा समय से सरकारी आवास पर काबिज हैं। इसी तरह राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को पद से हटे नौ साल और सात महीने हो चुके हैं। भुवन चंद्र खंडूड़ी पहली बार दो साल और दो महीने पद से अलग रहे जबकि दूसरी बार चार साल व सात महीने का वक्त उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटे हो चुका है। डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री पद से हटे पांच साल और एक महीना जबकि विजय बहुगुणा को दो साल व आठ महीने का वक्त गुजर चुका है। यानी, अगर मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद शुरुआती कुछ महीनों के लिए आवास खाली करने की सुविधा के समय को निकाल भी दिया जाए, तो पांचों पूर्व मुख्यमंत्री खासे लंबे समय से सरकारी आवासों पर काबिज हैं।
पद से हटने के बाद कब से काबिज हैं सरकारी आवासों पर
भगत सिंह कोश्यारी: 01 मार्च 2002 से अब तक।
नारायण दत्त तिवारी: 07 मार्च 2007 से अब तक।
भुवन चंद्र खंडूड़ी: 26 जून 2009 से 11 सितंबर 2011 तक।
डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक: 10 सितंबर 2011 से अब तक।
भुवन चंद्र खंडूड़ी: 13 मार्च 2012 से अब तक।
विजय बहुगुणा: 01 फरवरी 2014 से अब तक।
जागरण ने भी चलाई थी मुहिम
देहरादून: दैनिक जागरण ने ठीक दो साल पहले आठ अक्टूबर, 2014 से 13 नवंबर, 2014 तक पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास समेत तमाम मुफ्त सुविधाओं के खिलाफ जन जागरण करते हुए व्यापक मुहिम चलाई थी। समाज के तमाम तबकों से इस मुहिम को सराहना भी मिली।