Move to Jagran APP

बेनी प्रकरण की आखिरी कड़ी की भी नैया पार

सुमन सेमवाल, देहरादून: चर्चित बेनी प्रकरण में दोषी पाए गए अधिकारियों में सबसे निचले स्तर के अधिकार

By Edited By: Published: Sun, 28 Aug 2016 12:59 AM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2016 12:59 AM (IST)
बेनी प्रकरण की आखिरी कड़ी की भी नैया पार

सुमन सेमवाल, देहरादून:

loksabha election banner

चर्चित बेनी प्रकरण में दोषी पाए गए अधिकारियों में सबसे निचले स्तर के अधिकारी की भी शासन ने नैया पार लगा दी है। सीबीसीआइडी जांच में दोषी पाए गए उद्यान विभाग के संयुक्त निदेशक राकेश चंद्र श्रीवास्तव को अपर निदेशक बनाया जा रहा है। डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) के समक्ष जांच की बात रखे जाने के बाद भी उनकी पदोन्नति को हरी झंडी दे दी गई। कार्मिक विभाग ने भी उनकी पदोन्नति पर मुहर लगा दी है और अब विभागीय स्तर पर उनकी ताजपोशी की औपचारिकता ही शेष रह गई है।

दरअसल, यह पदोन्नति शासन के लिए गले की हड्डी बन गई थी। क्योंकि बेनी प्रकरण में तत्कालीन वन एवं ग्राम्य विकास आयुक्त से लेकर उद्यान सचिव, संयुक्त सचिव, उद्यान निदेशक तक दोषी पाए गए थे। इनमें से वन एवं ग्राम्य विकास आयुक्त विभापुरी दास दो पदोन्नति पाकर अब सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। सचिव संजीव चोपड़ा अपने मूल कैडर लौट चुके हैं। तत्कालीन निदेशक विनोद कुमार पदोन्नति पाकर अन्य विभाग में उच्च पद पर आसीन हैं। ऐसे में किस आधार पर संयुक्त निदेशक की पदोन्नति रोकी जाती। राकेश चंद्र श्रीवास्तव को अपर निदेशक बनाने की बारी आई तो सीबीसीआइडी जांच को नजरअंदाज करना शासन की मजबूरी बन गया। गौर करने वाली बात यह भी है कि अन्य अधिकारियों की तरह श्रीवास्तव को सिर्फ दोषी नहीं पाया गया था, बल्कि उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की भी संस्तुति सीबीसीआइडी ने की थी।

--------------------------

डीपीसी के समक्ष सीबीसीआइडी जांच की बात रखी गई थी। हालांकि जांच के बाद संयुक्त निदेशक पर कोई कार्रवाई न किए जाने के बाद उनकी पदोन्नति को हरी झंडी दी गई। कार्मिक विभाग से भी पदोन्नति आदेश जारी कर दिए गए हैं। हालांकि फाइल अभी अनुमोदन के लिए विभागीय मंत्री के पास भेजी गई है। इसके बाद ही राकेश चंद्र श्रीवास्तव की ताजपोशी पुख्ता की जाएगी।

-डॉ. रणवीर सिंह, अपर मुख्य सचिव

डीपीसी के आधार पर कार्मिक विभाग ने पदोन्नति आदेश जारी किया होगा। इस मामले को दोबारा दिखवाया जाएगा। ताकि दोषी अधिकारी को नियमों के विपरीत पदोन्नति न मिल पाए।

राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव कार्मिक

:::::::::::::

यह है बेनी प्रकरण

26 जून 2003 को वीआर दिवाकरुनी उर्फ बेनी ने अल्मोड़ा के राजकीय कोल्ड स्टोरेज को लीज पर लिया था। शासन की मिलीभगत से बेनी ने कोल्ड स्टोरेज पर 1.50 करोड़ रुपये का ऋण व कृषकों से 50-60 लाख रुपये ले लिए। कुछ समय बाद बेनी बिना रुपये लौटाए फरार हो गया। मामला प्रकाश में आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई तो तत्कालीन उद्यान मंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए सीबीआइ जांच कराने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने सीबीआइ जांच पर अपनी सहमति भी दे दी थी, मगर शासन में बैठे कुछ अधिकारियों ने जांच की दिशा सीबीसीआइडी की तरफ मोड़ दी थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.