मैड ने की नदी किनारे बस्तियां हटाने की मांग
जागरण संवाददाता, देहरादून: मलिन बस्ती विनियमितीकरण विधेयक पर नदियों के किनारे से बस्तियां न हटाने का
जागरण संवाददाता, देहरादून: मलिन बस्ती विनियमितीकरण विधेयक पर नदियों के किनारे से बस्तियां न हटाने का विरोध कर रही मैड संस्था ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटि¨रग कमेटी के सामने पक्ष रखा। कमेटी शहर के विकास कार्यो का जायजा लेने आयी थी। एफआरआइ में आयोजित एक बैठक के दौरान जिला प्रशासन, एमडीडीए, पीडब्लूडी, नगर निगम व अन्य विभागों की मौजूदगी में यह मुद्दा उठाते हुए मैड के प्रतिनिधियों ने बताया कि अगर नदी किनारे बस्तियां नहीं हटाई गई तो नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इस दौरान अधिकारियों ने भरोसा दिया कि नदियों के अस्तित्व को बचाकर कार्य किया जाएगा।
बता दें कि, दो दिन पहले मैड संस्था ने मुख्यमंत्री हरीश रावत पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कुछ समय पहले मुख्यमंत्री ने खुद कहा था कि नदियों के लिए पुनर्जीवन तभी संभव है, जब इसके किनारे बस्ती न हो। मैड का आरोप है कि जो नीति सरकार ने पास की है, उसमें कई बस्तियां नदियां किनारे हैं। रीवर-फ्रंट योजना ऐसे में कैसे पूरी होगी। मैड ने इस मामले में सड़क पर प्रदर्शन और हाईकोर्ट जाने की चेतावनी दे दी थी। मैड (मेकिंग ए डिफरेंस बाइ बीइंग द डिफरेंस) के अध्यक्ष अभिंजय नेगी की ओर से शुक्रवार को एफआरआइ में बैठक में रिस्पना व बिंदाल नदी के पुनर्जीवन के मुद्दे पर प्रजेंटेशन दिया। हालांकि, मैड ने स्पष्ट किया कि वह बस्तिया उजाड़ने के पक्ष में नहीं है। बस्तियों के कारण बस नदियों को कोई खतरा न हो। इस दौरान प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि जो भी कार्य किए जाएंगे, वह नदियों की सीमा से एक दायरा छोड़कर किए जाएंगे।