बैंक से चैक उड़ाने वाले दो जालसाज गिरफ्तार
जागरण संवाददाता, देहरादून: बैंकों से चैक उड़ाकर खाताधारकों को चूना लगाने वाले गिरोह के दो सदस्य बुधवा
जागरण संवाददाता, देहरादून: बैंकों से चैक उड़ाकर खाताधारकों को चूना लगाने वाले गिरोह के दो सदस्य बुधवार को दबोच लिए गए। आरोपी बैंकों से चैक उड़ाने के बाद उन पर लिखे नाम को केमिकल से मिटाकर फर्जी नाम-पतों से खोले गए अपने खातों में जमा कर लेते थे। आरोपियों के खाते से तीन लाख 90 हजार रुपये भी बरामद हुए हैं। पुलिस गिरोह के मास्टरमाइंड समेत अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।
बुधवार को मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी डॉ. सदानंद दाते ने बताया कि जालसाजों के इस गिरोह ने पिछले दो माह में हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश में पांच घटनाओं को अंजाम दिया। सोमवार को ऐसी एक और घटना सामने आई तो पुलिस ने जांच तेज कर दी। इसी बीच बुधवार को मुखबिरों से सूचना मिली कि उक्त जालसाज गिरोह के दो सदस्य बिजनौर के धामपुर में हैं। इसके बाद उन्हें घर से गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों की पहचान नितिन चौहान (30) पुत्र कृष्ण कुमार निवासी शक्तिनगर, थाना-धामपुर व मो. आसिफ (29) पुत्र इलियास निवासी ग्राम जटनगला, थाना-नगीना, जनपद-बिजनौर (उत्तर प्रदेश) के रूप में हुई।
एसएसपी के अनुसार दोनों आरोपियों ने बताया कि उनके गिरोह में कुल सात सदस्य हैं। गिरोह का मास्टरमाइंड धामपुर का अमित चौहान है। आरोपियों ने हरिद्वार व देहरादून के विभिन्न बैंकों में दो दर्जन से अधिक खाते खुलवा रखे हैं, जिनमें बैंकों से उड़ाए गए चैकों को जमा किया जाता था। पकड़े गए आरोपियों से उनके खातों की डिटेल ली गई तो पता चला कि उसमें दर्ज नाम-पते फर्जी हैं। खाते में रकम आने के बाद वह तुरंत उसे निकाल लेते थे। एसएसपी ने बताया कि गिरोह के तीन सदस्य हरिद्वार पुलिस की हिरासत में हैं। इनके खिलाफ ऋषिकेश, देहरादून, हरिद्वार के अलावा दिल्ली एनसीआर में भी मुकदमे दर्ज होने की जानकारी मिली है। जिसका विवरण मंगाया जा रहा है।
ऐसे करते थे धोखाधड़ी
नितिन व आसिफ ने बताया कि वह बैंकों में मोटी रकम के आने वाले चैकों पर नजर रखते थे। जमाकर्ता चला जाता तो वह बैंक कर्मचारियों से कहते कि अमुक चैक में कुछ गड़बड़ी हो गई है, लिहाजा उसे वापस कर दिया जाए। चैक मिलने के बाद वह एक केमिकल के जरिये पहले से लिखे नाम को मिटाकर अपने खाते का विवरण भर देते थे।
इन बैंकों में मिले फर्जी खाते
-बैंक ऑफ पटियाला गांधी रोड में कुणाल वर्मा निवासी नेहरू कॉलोनी के नाम से।
-सेंट्रल बैंक रिस्पना पुल में कुणाल वर्मा निवासी नेहरू कॉलोनी के नाम से।
-बैंक ऑफ हैदराबाद रानीपुर हरिद्वार में अजय कुमार के नाम से।
बैंकों की भूमिका भी सवालों में
जालसाजी के इन मामलों ने बैंकों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह कि आरोपियों की कूटरचना को बैंक कर्मियों ने नजरंदाज कैसे कर दिया। इसके अलावा बड़ी रकम के भुगतान से पहले संबंधित खाताधारक से मोबाइल पर बात करने का प्रावधान है, उक्त मामलों से जाहिर है कि बैंकों ने इस नियम का पालन कतई नहीं किया गया। क्योंकि, अगर ऐसा किया जाता तो धोखाधड़ी बैंक स्तर पर ही पकड़ में आ जाती। एसएसपी डॉ. सदानंद दाते ने कहा कि बैंकों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।