कांवड़ यात्रा: उद्योगों को 500 करोड़ का फटका
जागरण संवाददाता, देहरादून: कांवड़ यात्रा शुरू होने के साथ ही औद्योगिक इकाइयां ठप-सी पड़ गई हैं। ट्रां
जागरण संवाददाता, देहरादून: कांवड़ यात्रा शुरू होने के साथ ही औद्योगिक इकाइयां ठप-सी पड़ गई हैं। ट्रांसपोर्ट के मुख्य रूट बंद होने से दून स्थित छोटे-बड़े उद्योगों में न तो कच्चा माल पहुंच रहा है और न तैयार माल ही बाहर जा पा रहा है। इससे लगभग 500 करोड़ का कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है। यह स्थिति जुलाई के आखिर तक बनी रहेगी।
दून के सेलाकुई, लांघा रोड, पटेलनगर, मोहब्बेवाला और ऋषिकेश के ढालवाला में औद्योगिक इकाइयां स्थापित हैं। सेलाकुई व लांघा रोड में जहां मध्यम से लेकर बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं, वहीं पटेलनगर व मोहब्बेवाला में छोटे व मध्यम उद्योग चल रहे हैं। इनमें फार्मा, फूड प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, फुटवियर, इलेक्ट्रिकल्स, बल्ब आदि की इंडस्ट्री हैं। इन उद्योगों में रोजाना तकरीबन 400 छोटे-बड़े वाहन कच्चा माल लेकर आते हैं और इतने ही वाहन तैयार माल को अन्य प्रदेशों में पहुंचाते हैं।
औद्योगिक इकाइयों में दिल्ली नजीबाबाद, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, मेरठ से वाया हरिद्वार और रुड़की होते हुए कच्चा माल पहुंचता है। श्रावण में कांवड़ यात्रा शुरू होने के साथ 21 जुलाई यह रूट बंद कर दिए गए हैं, जो कि एक अगस्त यानी श्रावण शिवरात्रि तक बंद रहेंगे। ऐसे में यह 10 दिन उद्योगों पर भारी गुजरेंगे। विशेषज्ञों की मानें तो 10 दिन रूट बंद होने से लगभग 500 करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा। जो छोटे उद्योग हैं, उनमें कच्चा माल या तैयार माल रखने के लिए स्टोरेज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। वहीं वैकल्पिक रूट पर माल लाने-ले जाने में टूट-फूट होने का खतरा बना रहता है। हालांकि, वैकल्पिक रूट के तौर पर करनाल, पांवटा साहिब से भी वाहन आ-जा सकते हैं। लेकिन, इससे माल भाड़े के रूप में पांच से सात हजार रुपये अधिक देने पड़ते हैं। साथ ही प्रवेश शुल्क भी दो-तीन फीसदी ज्यादा लगता है। इसे देखते हुए कई उद्योगों ने तो अपने श्रमिकों को एक सप्ताह का अवकाश भी दे रखा है। सेलाकुई स्थित ई-ड्यूरैबल के महाप्रबंधक लतीफ चौधरी के मुताबिक कंपनी की तीन इकाइयां हैं, जिनका सालाना टर्नओवर 500 करोड़ है। कांवड़ यात्रा के दौरान उन्हें 30 से 40 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ता है।
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कांवड़ यात्रा के दौरान रूट बंद होने से उद्योगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इन दिनों वाहनों की आवाजाही बिल्कुल ठप हो जाती है। इसका असर छोटे उद्योगों पर ज्यादा पड़ता है।
-राकेश भाटिया, अध्यक्ष, उत्तराखंड इंडस्ट्रीयल वेलफेयर एसोसिएशन
जो माल तैयार भी होता है, उसकी डिलीवरी समय पर न होने से उद्योगों को खामियाजा उठाना पड़ता है। वैकल्पिक मार्गो से कच्चा माल लाने और तैयार माल ले जाने में लागत बढ़ जाती है।
-पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड