कानूनी जंग पर नरमी, अब सदन पर भरोसा
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून विनियोग विधेयक पर कानूनी जंग को कमर कसने के संकेत देने के बाद अब सरकार क
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून
विनियोग विधेयक पर कानूनी जंग को कमर कसने के संकेत देने के बाद अब सरकार के तेवर नरम पड़ गए हैं। इस जंग में मामला लंबा खिंचने की नौबत आई तो राज्य को वित्तीय संकट से दो-चार होना पड़ सकता है। ऐसे में सरकार चार और पांच जुलाई को आहूत विधानसभा सत्र में ही विनियोग विधेयक की परीक्षा में पास होने की तैयारी में जुटी है। उधर, प्रदेश में वेतन, पेंशन समेत जरूरी खर्चे पूरे करने के लिए सरकार अब तक बाजार से 790 करोड़ उधार ले चुकी है।
बीती 18 मार्च को विनियोग विधेयक को लेकर उठा सियासी बवाल सरकार की काफी किरकिरी करा चुका है। इस बवाल के चलते 55 दिन के संकट से जूझने के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बहाल तो हो गई, लेकिन विनियोग विधेयक को केंद्र सरकार और राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल पाई है। राष्ट्रपति शासन को लेकर अदालती जंग में केंद्र सरकार को शिकस्त दे चुकी प्रदेश सरकार 18 मार्च को विधानसभा से पारित विनियोग विधेयक को मंजूरी दिलाने को हाथ-पांव मार रही है। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने के साथ ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी गुहार लगा चुके हैं। यही नहीं, इससे पहले सरकार और विधानसभा की ओर से इस संबंध में राजभवन में भी दस्तक दी गई थी। मुख्य सचिव ने राजभवन से अनुरोध किया तो विधानसभा के प्रमुख सचिव ने भी राज्यपाल को पत्र लिखकर विनियोग विधेयक को मंजूरी देने की पैरवी की। इसके साथ ही सरकार की ओर से इस मामले में एक बार फिर अदालत में लड़ाई लड़ने की बात कही गई। इस बारे में उच्च स्तर पर कई बार मंथन किया गया।
लेकिन, बदली परिस्थितियों में सरकार अदालती जंग दोबारा शुरू करने से परहेज कर सकती है। नए सिरे से विनियोग विधेयक पारित कराने को आगामी चार और पांच जुलाई को विधानसभा सत्र आहूत किया जा चुका है। विधायी एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश ने कहा कि विनियोग विधेयक को लेकर अदालत में जाने की संभावनाएं अब क्षीण हैं। सरकार विधानसभा में अपना बजट पास कराएगी। सिर्फ जरूरी खर्च तक सीमित लेखानुदान जुलाई माह तक ही है। बजट पास नहीं हुआ तो प्रदेश में वित्तीय संकट गहराएगा। नए विनियोग विधेयक की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। सरकार को विकास के नए कार्यो के लिए धन की दरकार है।
उधर, प्रदेश सरकार को वेतन, पेंशन समेत जरूरी खर्च पूरे करने के लिए बाजार से अब तक 790 करोड़ ऋण लेना पड़ा है। बीते अप्रैल माह में 290 करोड़ ऋण लिया गया था, जबकि चालू माह जून में 500 करोड़ ऋण लिया गया है।