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'मौका' लपकने को तैयार भाजपा

सुभाष भट्ट, देहरादून राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के भीतर बढ़ती कलह व पीडीएफ का अडिग रुख देखकर

By Edited By: Published: Mon, 30 May 2016 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 01:01 AM (IST)
'मौका' लपकने को तैयार भाजपा

सुभाष भट्ट, देहरादून

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राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के भीतर बढ़ती कलह व पीडीएफ का अडिग रुख देखकर भाजपा भी अब मौका लपकने की तैयारी में नजर आ रही है। कांग्रेस को पटखनी देने के लिए भाजपा प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रत्याशी दिनेश धनै को समर्थन दे सकती है, तो क्रास वोटिंग की उम्मीद में अंतिम वक्त पर खुद भी कोई दमदार उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार सकती है। सूत्रों के अनुसार ऐसी परिस्थिति में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज में से किसी एक पर भाजपा दांव खेल सकती है।

उत्तराखंड में रिक्त हो रही राज्यसभा की सीट के चुनाव को लेकर प्रदेश में सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। कांग्रेस में पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी घोषित करने के बाद अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई है, तो राज्य सरकार में सहयोगी पीडीएफ पहले से ही कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाए हुए है। छह गैरकांग्रेसी विधायकों का प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) भी रावत मंत्रिमंडल के सदस्य दिनेश धनै को अपना उम्मीदवार घोषित कर चुका है। मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद पीडीएफ को मनाने में जुटे हैं, मगर पीडीएफ फिलहाल अडिग ही नजर आ रहा है।

राज्यसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी खेमे में तलवारें खिंचने से भाजपा को न केवल खुश होने का अवसर मिल गया है, बल्कि उसकी उम्मीदें भी जोर मारने लगी हैं। इस मामले में सोमवार को केंद्रीय नेताओं के साथ होने वाली बैठक में कोई फैसला हो सकता है। राज्य विधानसभा में भाजपा के पास 28 विधायकों का संख्याबल है, तो कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं। इनमें से भाजपा व कांग्रेस के एक-एक विधायक की सदस्यता पर दलबदल कानून के तहत तलवार लटकी हुई है।

मनोनीत विधायक को राज्यसभा चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस सरकार को पीडीएफ के छह विधायकों का समर्थन हासिल है, मगर राज्यसभा चुनाव में पीडीएफ की ओर से भी प्रत्याशी खड़ा करने से कांग्रेस के समीकरण बिगड़ते दिख रहे हैं। जाहिर है विपक्ष भाजपा इस सुनहरे मौके का भरपूर राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश में है। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को पटखनी देने के लिए भाजपा पीडीएफ को समर्थन दे सकती है।

हालांकि, पीडीएफ की ओर से अब तक भाजपा से समर्थन मांगा नहीं गया है। इसके अलावा, कांग्रेस में बढ़ती कलह ने कांग्रेसी खेमे में क्रास वोटिंग की आशंका भी पैदा कर दी है। यदि ऐसी कोई संभावना नजर आई, तो भाजपा आखिरी वक्त पर कोई दमदार उम्मीदवार खुद भी मैदान में उतार सकती है। यदि ऐसा हुआ तो विजय बहुगुणा व सतपाल महाराज में से कोई एक भाजपा का प्रत्याशी हो सकता है।

इनसेट..

'पीडीएफ ने अपना प्रत्याशी उतारने का मादा दिखाया है, जो तारीफ के काबिल है। पहली बार पीडीएफ ने कांग्रेस के पाप में भागीदार न होने का संदेश देने की कोशिश की है। अब यह देखना होगा कि पीडीएफ अपने इस रुख पर ऐसे ही ईमानदारी से डटा रहेगा या नहीं। यदि पीडीएफ भाजपा से समर्थन मांगती है, तो पार्टी नेतृत्व उनके प्रस्ताव पर विचार करेगा।'

-अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

इनसेट..

विधानसभा में दलीय स्थिति..

भाजपा 28

कांग्रेस 27

बसपा 02

उक्रांद 01

निर्दलीय 03

मनोनीत 01

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कुल 62

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नोट: मनोनीत विधायक को राज्यसभा चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं है। बगावत के कारण नौ कांग्रेस विधायकों की सदस्यता खत्म हो चुकी है।


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