जान जोखिम में डालकर संवार रहे भविष्य
संवाद सहयोगी, ऋषिकेश: अति दुर्गम की श्रेणी में आने वाले दोगी पट्टी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुत्थ
संवाद सहयोगी, ऋषिकेश: अति दुर्गम की श्रेणी में आने वाले दोगी पट्टी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुत्था के जान जोखिम में डालकर अपने भविष्य संवारने को मजबूर हैं। स्कूल जाने के लिए बच्चों को एक किमी की चढ़ाई चढ़ने के बाद खड़ी दीवार बनी एक पत्थर की सीढ़ी से स्कूल पहुंचना पड़ता है। इस विद्यालय के शिक्षक अपने वेतन से बच्चों का भविष्य संवारने में लगे हैं। लेकिन खतरों के भरा यह मार्ग बच्चों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
वेतन से बच्चों का भविष्य संवार रहे राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुत्था के शिक्षक प्रमोद चमोली बच्चों को अच्छी शिक्षा तो प्रदान कर रहे हैं। लेकिन विद्यालय भवन में प्रवेश के लिए बना रास्ता बच्चों के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है। यह विद्यालय गांव के करीब एक किमी की चढ़ाई पर स्थित है। जैसे तैसे बच्चे इस विद्यालय के प्रवेश द्वार तक तो पहुंच जाते हैं मगर यहां बनी दीवार को पार करना इन बच्चों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इस खड़ी दीवार पर एक पत्थर को बाहर निकालकर सीढ़ी बनाई गई है। जिस पर दीवार के सहारे एक ही बच्चा आ जा सकता है। ऐसे में यदि दूसरी ओर से दूसरा बच्चा आ जाता है तो उस स्थिति में किसी एक को वापस लौटना पड़ता है। दुर्घटनाओं को निमंत्रण दे रहा यह मार्ग बच्चों के खतरा बना हुआ है। मिंडाथ के क्षेत्र पंचायत सदस्य सुनीता मेहर ने कहा कि तीन वर्ष पूर्व इस विद्यालय की स्थित बहुत खराब थी। शिक्षक प्रमोद कुमार चमोली के प्रयास से बच्चों को अच्छी व अन्य सुविधाएं मिल रही हैं। कहा कि विद्यालय का रास्ता दुरस्त करने के लिए ब्लॉक को सीढ़ी बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन अभी इस कोई कार्यवाही नहीं की गई है।