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आने वाले 30-40 दिन बेहद चुनौतीपूर्ण

जागरण संवाददाता, देहरादून: विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों

By Edited By: Published: Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST)
आने वाले 30-40 दिन बेहद चुनौतीपूर्ण

जागरण संवाददाता, देहरादून:

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विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों को लेकर देश के महानिदेशक वन एसएस नेगी ने उत्तराखंड वन विभाग की पीठ थपथपाई है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले 30-40 दिन बेहद चुनौती भरे हैं। यदि वर्षा न हुई तो आग विकराल रूप धारण कर सकती है। लेकिन, उम्मीद है कि ऐसी स्थिति आने पर सभी के सहयोग से इससे पार पा लिया जाएगा। यही नहीं, इस संबंध में राज्य जो भी मदद मांगेगा, उसे केंद्र की ओर से मुहैया कराई जाएगी।

दून पहुंचे श्री नेगी ने शनिवार को वन विभाग मुख्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वनाग्नि पर नियंत्रण को मैन पावर बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि यहां आग पर मैनुअली ही काबू पाया जा सकता है। इस लिहाज से वन विभाग ने सीमित संसाधनों के बावजूद जो कदम उठाए हैं, वह संतोषजनक हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिन ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं। फिर यह साल वनाग्नि के लिहाज से असामान्य भी है। क्योंकि, तीसरे-चौथे साल आग अधिक लगती है।

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प्री-फायर अलर्ट अगले साल तक

महानिदेशक वन ने बताया कि भारतीय वन सर्वेक्षण ऐसी तकनीकी विकसित करने में जुटा है, जिससे एक-दो दिन पहले यह पता चल सकेगा कि किस क्षेत्र में आग लगने की संभावना है। उन्होंने कहा कि प्री फायर अलर्ट की इस तकनीक से अगले साल तक देश के सभी राज्यों को जोड़ दिया जाएगा।

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फायर लाइन पर कोई पाबंदी नहीं

राज्य में निष्क्रिय पड़ी 4000 किमी फायर लाइनों की सफाई न होने के मामले में पूछे गए सवाल पर श्री नेगी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पेड़ों के कटान पर प्रतिबंध लगाया है। फायर लाइन की सफाई पर कोई पाबंदी नहीं है। यदि कहीं फायर लाइन पर पेड़ उग आए हैं तो उसके लिए प्लान तैयार किया जाना चाहिए।

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चीड़ को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं

उत्तराखंड में करीब 18 फीसद वन क्षेत्र में कब्जा जमा चुके चीड़ के पेड़ों को हटाने कोई प्रस्ताव वन महानिदेशक कार्यालय को नहीं मिला है। वन महानिदेशक ने उस सवाल के जवाब में यह बात कही, जिसमें पूर्व में राज्य सरकार की ओर से चीड़ को हटाने पर जोर दिया गया था। बता दें कि चीड़ की पत्तियां यानी पिरुल वनाग्नि का बड़ा कारण बनती हैं।

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वन्यजीवों के मरने की रिपोर्ट नहीं

इस मौके पर सूबे के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आरके महाजन ने बताया कि वनाग्नि से अभी तक कहीं भी किसी वन्यजीव के हताहत होने की सूचना नहीं है। हालांकि, कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत अन्य संरक्षित क्षेत्रों में भी आग लगी है, लेकिन यह बाहरी क्षेत्रों में है। संरक्षित क्षेत्रों के कोर जोन में पानी का इंतजाम हैं। जहां, पानी कम है, वहां टैंकरों से वाटर होल भरे जा रहे हैं।


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