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दो पुिलस अफसरों की जंग में पिसा महकमा

राज्य ब्यूरो, देहरादून: अनुशासित माने जाने वाले पुलिस महकमा दो आइपीएस अधिकारियों की जंग में तकरीबन त

By Edited By: Published: Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST)
दो पुिलस अफसरों की जंग में पिसा महकमा

राज्य ब्यूरो, देहरादून: अनुशासित माने जाने वाले पुलिस महकमा दो आइपीएस अधिकारियों की जंग में तकरीबन तीन साल तक पिसता रहा। पिछले लंबे अरसे से कई मौकों पर प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल उठ चुके हैं, साथ ही वर्तमान में राजनीतिक अस्थिरता और जंगलों की आग से जूझते राज्य में पुलिस के दायित्व निर्वहन पर बीएस सिद्धू बनाम केवल खुराना की जंग भारी पड़ती नजर आई। आश्चर्यजनक ये भी रहा कि प्रदेश की निवर्तमान सरकार से लेकर शासन के आला अधिकारी इस जंग में हाथ ही सेंकते दिखाई दिए।

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प्रदेश वर्तमान में सियासी और दावानल के गंभीर संकट से गुजर रहा है, लेकिन पुलिस महकमे ने अंदरूनी उठापटक से उबरना जरूरी नहीं समझा। शनिवार को सेवानिवृत्ति से पहले तक डीजीपी पद पर आसीन रहे बीएस सिद्धू और एसएसपी केवल खुराना आपसी झगड़ों में ही उलझते रहे। साम, दाम, दंड भेद के इस खेल में एक दूसरे को नीचा दिखाने में कसर नहीं छोड़ी गई। अभी इस खेल का अंत होता भी नजर नहीं आ रहा है। दरअसल, बीएस सिद्धू और केवल खुराना के बीच छत्तीस के आंकड़ा की शुरूआत तब हुई, जब खुराना पर रैंकर्स परीक्षा के दौरान गड़बड़ी के आरोप लगे। मामले की जांच बीएस सिद्धू ने ही की थी, तब वह एडीजी विजिलेंस के पद पर तैनात थे। उन्होंने मामले की जांच कर शासन को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें केवल खुराना को दोषी पाया गया था। इस मामले में सीबीसीआइडी जांच भी हुई लेकिन इसका नतीजा कुछ नहीं निकला। यह मामला तब बढ़ा जब बतौर एडीजी सिद्धू पर रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र में फर्जी तरीके से भूमि खरीद के आरोप लगे। इस दौरान केवल खुराना देहरादून के एसएसपी थे। इस मामले में सिद्धू के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ। इसके बाद से ही दोनों अधिकारियों के बीच जंग शुरू हो गई। इस जंग में पुलिस महकमे के अधिकारी व कर्मचारी पिसते गए। महकमे के मुखिया की न सुने तो फटकार और जिले के कप्तान की न मानने तो मुसीबत। एक समय ऐसा भी आया कि जब दोनों के बीच फंसे कर्मचारियों की स्थिति इधर कुआं उधर खाई के समान हो गई। बीते ढाई वर्षो में केवल खुराना पर कई आरोप लगे तो वहीं सिद्धू से भी पुराने मामलों ने पीछा नहीं छोड़ा। दोनों अधिकारियों के बीच कड़ुवाहट बढ़ाने में सियासतदां ने कसर नहीं छोड़ी। वे दोनों अधिकारियों के बीच सुलह कराने के बजाए अपनी रोटियां सेकते रहे। हालांकि, उक्त दोनों आइपीएस अधिकारियों ने प्रशासनिक क्षमता का लोहा भी मनवाया। देहरादून की यातायात व्यवस्था सुधारने और अपराधों में अंकुश लगाने में खुराना की पहल खासी सराही गई। वहीं बतौर डीजीपी बीएस सिद्धू ने सिटी पेट्रोल यूनिट जैसे प्रयोग करने के साथ ही सेवानिवृत्ति से पहले तक पुलिस कर्मियों के हित में अच्छे कदम उठाए। इसके बावजूद दोनों अधिकारियों के अहं के टकराव का खामियाजा महकमे को छवि खराब होने के रूप में भुगतना पड़ा।


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