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मैदानों में भरमार, पहाड़ नहीं चढ़ रहे 'सरकार'

विकास गुसाई, देहरादून: सरकार एक ओर हिटो पहाड़ तथा पर्वतीय क्षेत्रों के विकास का नारा तो दे रही है

By Edited By: Published: Sat, 06 Feb 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 01:00 AM (IST)
मैदानों में भरमार, पहाड़ नहीं चढ़ रहे 'सरकार'

विकास गुसाई, देहरादून:

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सरकार एक ओर हिटो पहाड़ तथा पर्वतीय क्षेत्रों के विकास का नारा तो दे रही है लेकिन दूसरी ओर पहाड़ों में अधिकारियों को चढ़ाने के बजाए कदम पीछे खींचे जा रहे हैं। आलम यह है कि जिलों में विकास को धरातल पर अंजाम देने वाले एसडीएम व डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारियों के पद पर्वतीय जिलों में रिक्त चल रहे हैं। इनमें आपदा प्रभावित चमोली, उत्तरकाशी व अल्मोड़ा जैसे जिले शामिल हैं। इसके उलट हरिद्वार व नैनीताल जैसे जिलों में निर्धारित से अधिक डिप्टी कलेक्टर तैनात हैं।

प्रदेश में वर्ष 2013 में आपदा आपदा का सबसे अधिक नुकसान पर्वतीय जिलों में हुआ है। आपदा के तुरंत बाद सरकार ने पूरी प्रशासनिक मशीनरी ही पहाड़ों पर चढ़ा दी थी। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा राहत का कार्य भी तेजी से चला। समय के गुजरने के साथ-साथ यह मशीनरी धीरे-धीरे नीचे उतरने लगी। अब आलम यह है कि पर्वतीय जिलों में एसडीएम व डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारियों का टोटा होने लगा है। जबकि यही अधिकारी इन जिलों में सरकारी योजनाओं को परवान चढ़ाने में सबसे अहम कड़ी हैं। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों की विषय भौगोलिक परिस्थितियों के कारण एक-एक डिप्टी कलेक्टर के पास काफी बड़ा क्षेत्र होता हैं, ऐसे में ग्रामीणों तक हर योजना को पहुंचाने की जिम्मेदारी इन्हीं कंधों पर होती है। आज स्थिति यह बनने लगी है कि अधिकारी पहाड़ों में तैनाती से ही कन्नी काटने लगे हैं। राजनीति इन तबादलों में इस कदर बढ़ गई कि कई अधिकारी अपने आकाओं के बूते इन तबादलों को निरस्त कराने में सफल हो जाते हैं। ऐसे में पहाड़ चढ़ने वालों में अधिकांश वही अधिकारी हैं नई तैनाती अथवा प्रोन्नति पाकर इन जिलों में आते हैं।

वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो चमोली में एसडीएम और डिप्टी कलेक्टर के आठ पद स्वीकृत हैं। इनके सापेक्ष यहां केवल चार अधिकारी ही तैनात हैं। वहां चार पद खाली चल रहे हैं। इसी प्रकार उत्तरकाशी में एसडीएम और डिप्टी कलेक्टर के पांच पद हैं इनके सापेक्ष अभी केवल तीन अधिकारी ही तैनात हैं। अल्मोड़ा में एसडीएम और डिप्टी कलेक्टर के सात पद स्वीकृत हैं लेकिन इनके सापेक्ष केवल चार अधिकारी ही तैनात हैं। पिथौरागढ़ में सात पदों के सापेक्ष पांच अधिकारी ही तैनात हैं। पर्वतीय व मैदानी मिश्रित क्षेत्र चंपावत में एसडीएम और डिप्टी कलेक्टर के चार पदों के सापेक्ष छह अधिकारी तैनात हैं। हरिद्वार में चार स्वीकृत पदों के सापेक्ष छह अधिकारी और नैनीताल में सात स्वीकृत पदों के सापेक्ष नौ अधिकारी तैनात हैं। पर्वतीय जिलों में कम होती अधिकारियों की संख्या सरकार की कथनी-करनी में अंतर को साफ बयां कर रही है।


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