सिमटते दायरे से विलुप्ति की ओर पंजाबी भाषा
जागरण संवाददाता, देहरादून: पंजाबी साहित्यकारों ने पंजाबी भाषा की दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि
जागरण संवाददाता, देहरादून: पंजाबी साहित्यकारों ने पंजाबी भाषा की दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके घटते दायरे से यह स्थिति आई है। पंजाबी के जानकार ही इसे घर पर बोलने से भी बचते हैं। इस भाषा का गौरवमयी इतिहास रहा है, लेकिन आज यह विलुप्ति के कगार पर पहुंच रही है। उन्होंने इसके विकास के लिए पंजाबी और ¨हदी भाषा के समन्वय को जरूरी बताया।
गुरुवार को उत्तराखंड पंजाबी अकादमी में पंजाबी साहित्यकारों का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने पंजाबी भाषा के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए सुझाव देते हुए। कहा कि हम लोग पंजाबी साहित्य को ¨हदी में और ¨हदी को पंजाबी में अनुवाद कर बेहतर कार्य कर सकते हैं। जिससे आम जन को दोनों भाषाओं की जानकारी होगी। अकादमी को भी गांव-गांव जाकर भाषा का प्रचार प्रसार करना चाहिए।
अकादमी के निदेशक विजय कुमार ढौंढियाल ने कहा कि उत्तराखंड में पंजाबी भाषियों का नेटवर्क विकसित करना होगा। साथ ही दून में पंजाबी पुस्तकालय और संशाधन केंद्र स्थापित करने होंगे। इस अवसर पर हरपाल सिंह सेठी, विरेंद्र पाल सिंह, भाई फूला सिंह, सरदार जसवीर सिंह, डॉ. हिम्मत सिंह, अंबर खरबंदा आदि मौजूद रहे।