परावर्ती टेप के खेल में 'लूट'
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून के संभागीय परिवहन कार्यालय में वाहनों की फिटनेस जांच के दौरान परावर्त
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून के संभागीय परिवहन कार्यालय में वाहनों की फिटनेस जांच के दौरान परावर्ती टेप लगाने के नाम पर जमकर लूट हो रही। निजी कंपनी के जरिये वाहनों में लगाया जा रहा परावर्ती टेप परिवहन विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ा रही है। टेप किस मानक का होना चाहिए और वाहन में कहां लगेगा, सब-कुछ तय है। मगर, तय मानकों के विरुद्ध हर वाहन में जबरन टेप लगाया जा रहा। बसों में टेप के लिए ढाई से तीन हजार रुपये, जबकि ट्रक वालों से दो से ढाई हजार रुपये वसूले जा रहे। ट्राला व ट्रेलर संचालकों से तो तीन से चार हजार रुपये और विक्रम व ऑटो वालों से 500 से एक हजार रुपये तक की वसूली की जा रही।
फिटनेस के लिए हर व्यावसायिक वाहन में परावर्ती टेप लगवाया जाता है। परिवहन विभाग ने इसका जिम्मा एक निजी कंपनी को सौंपा है। आरोप है कि विभाग के अधिकारी व टेप लगाने वाली कंपनी की मिलीभगत से ट्रांसपोर्टरों से जमकर अवैध वसूली की जा रही। जहां पहले ऑटो में परावर्ती टेप लगाने के नाम पर 200 रुपये लिए जाते थे, अब यह रेट 500 रुपये कर दिया गया। विक्रम चालकों का आरोप था उनसे पहले 300 रुपये लिए जाते थे, लेकिन अब 800 से 1000 रुपये लिए जा रहे। बस और ट्रक वाले तो सबसे ज्यादा परेशान हैं। बस वालों से 1000 के बजाए अब 2500 से 3000 रुपये तक की वसूली की जा रही, जबकि ट्रकों से 2000 से 2500 रुपये लिए जा रहे। आरोप है कि फिटनेस जांच करने वाले अधिकारी ने चेतावनी दी हुई है कि जिन वाहनों में टेप नहीं होगा, उनकी फिटनेस नहीं की जाएगी। साथ ही जिस वाहन पर पहले से टेप लगा है, उसमें भी जबरन दोबारा टेप लगवाया जा रहा। जिन वाहनो में टेप कम एमएम का लगाया जाना चाहिए, उनमें भी जानबूझकर ज्यादा एमएम का टेप लगाया जा रहा।
बिना टेंडर कंपनी अनुबंधित
परावर्ती टेप में परिवहन विभाग का बड़ा झूठ सामने आ रहा। सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने परिवहन मुख्यालय से आरटीआइ में सूचना मांगी थी तो जवाब मिला कि विभाग ने परावर्ती टेप लगाने को कोई ठेका ही नहीं दिया। वहीं, आरटीओ दफ्तर यही दावा ठोकता है कि कंपनी को ठेका दिया हुआ है। कंपनी की रसीद पर बाकायदा आरटीओ आफिस का नाम छपा हुआ है।
'परावर्ती टेप मानक के अनुरूप और वाहन की प्रकृति के आधार पर लग रहा है। बस-ट्रक बड़े होते हैं, इसलिए उनमें टेप ज्यादा लग रहा। फिर भी अगर कोई अनियमितता है तो इसे देखा जाएगा।'
राम प्रकाश राठौर, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी