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देवप्रयाग कुंभ मेला क्षेत्र में शामिल

राज्य ब्यूरो, देहरादून: वर्षो से यात्री सुविधाओं के अभाव से जूझ रही धार्मिक व पौराणिक नगरी देवप्रयाग

By Edited By: Published: Sun, 04 Oct 2015 01:11 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2015 01:11 AM (IST)
देवप्रयाग कुंभ मेला क्षेत्र में शामिल

राज्य ब्यूरो, देहरादून: वर्षो से यात्री सुविधाओं के अभाव से जूझ रही धार्मिक व पौराणिक नगरी देवप्रयाग के कायाकल्प का भी रास्ता खुल गया है। राज्य सरकार ने भागीरथी व अलकनंदा के संगम पर स्थित देवप्रयाग को भी कुंभ मेला क्षेत्र में शामिल कर लिया है। सचिव शहरी विकास डीएस गब्र्याल की ओर से इस बाबत शासनादेश जारी किया गया है। सरकार के इस निर्णय से अब अ‌र्द्धकुंभ मेला-2016 के अंतर्गत मिलने वाले विशेष बजट से देवप्रयाग को भी विकास कार्यो के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध हो सकेगी।

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इस पौराणिक नगरी में ही भागीरथी और अलकनंदा का संगम होने के बाद गंगा का स्वरूप बनता है। यही वजह है कि दोनों नदियों के इस संगम पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान कर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी करते हैं। साथ ही, प्राचीन रघुनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। उत्तराखंड के पंच प्रयागों में से एक देवप्रयाग को पिछले कई वर्षो से कुंभक्षेत्र में शामिल करने की मांग भी उठती रही है। राज्य सरकार ने इस नगर के पौराणिक महत्व व क्षेत्रवासियों की मांग के मद्देनजर देवप्रयाग को कुंभ क्षेत्र में शामिल कर दिया है।

प्राचीन तीर्थस्थल होने के बावजूद इस छोटे पर्वतीय नगर में यात्री सुविधाओं का भारी अभाव बना हुआ है। बदहाल सड़कें व गलियों के साथ ही साफ-सफाई के भी पुख्ता इंतजाम यहां पर नहीं है। कुंभ क्षेत्र में शामिल होने के बाद अब देवप्रयाग में भी कुंभ मेला बजट से विकास कार्य होने की उम्मीद जगी है। मुख्य सचिव राकेश शर्मा की अध्यक्षता वाली इम्पावर्ड कमेटी इस संबंध में जल्द कोई निर्णय ले सकती है। खासतौर पर अ‌र्द्धकुंभ मेला 2016 के तहत अब देवप्रयाग में भी कई विकास योजनाएं मंजूर किए जाने की संभावना बढ़ गई है।

स्थानीय विधायक व शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने सरकार के इस निर्णय को ऐतिहासिक बताया। साथ ही, मुख्यमंत्री हरीश रावत व शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह पंवार का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से साफ हो गया है कि राज्य सरकार जनभावनाओं का सम्मान करते हुए देवभूमि के हर उस क्षेत्र को महत्व दे रही है, जिसकी अपनी विशिष्ट पहचान है।


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