उत्तराखंड में साढ़े तीन प्रतिशत घटा जलकर
पेयजल उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जल सरचार्ज को पांच प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत करने के निर्देश दिए हैं।
देहरादून। पेयजल उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जल सरचार्ज को पांच प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत करने के निर्देश दिए हैं।
वहीं, भूगर्भ जल का दोहन करने वाली औद्योगिक इकाइयों, भवन निर्माण बिल्डरों, सरकारी भवनों व अन्य व्यावसायिक संस्थाओं से भूगर्भ जल का मूल्य लिया जाएगा।
विभिन्न विभागों के साथ आयोजित बैठकों मे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राज्य के आर्थिक संसाधनों को बढ़ाने पर मंथन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों व प्राथमिकताओं में परिवर्तन को देखते हुए हमें अपने आर्थिक संसाधन तलाशने होंगे। इसमें यह ध्यान रहे कि प्रदेश के गरीब तबके पर इसका भार न पड़े।
उन्होंने हर साल जलमूल्य में की जाने वाली 15 प्रतिशत वृद्धि के संबंध में कहा कि चार टोंटियों तक जलमूल्य में केवल नौ प्रतिशत वृद्धि की जाए। साथ ही जलनिगम व जलसंस्थान को बेहतर तकनीक का उपयोग करते योजनाओं की निर्माण लागत में 10 प्रतिशत तक कमी लाने का प्रयास करना होगा।
उन्होने यूजेवीएनएल को निर्देश दिए कि चार पांच स्थानों पर ग्राम पंचायतों को अपने साथ लेते हुए दो मेगावाट तक की माइक्रो हाईडिल परियोजनाएं पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बनाएं। साथ ही सिंचाई विभाग भी कुछ स्थानों पर एक से दो मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाएं बनाए।
उन्होंने कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिए मोबाईल टावरों, आप्टिकल फाईबर, केबल इंडस्ट्री आदि से किस तरह से संसाधन जुटाए जा सकते हैं, इसका पूरा अध्ययन कर लिया जाए।
खनन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि रिटेलर्स पर रोक लगाने से जहां सरकार को आय का नुकसान हो रहा है, वहीं भवन निर्माण सामग्री भी महंगी हो रही है। इसलिए खनन में रिटेल लाईसेंस की पॉलिसी बनाई जाए। साथ ही खनन कार्यों पर चेकिंग व्यवस्था को अधिक दुरूस्त किया जाए।
बैठक में मुख्य सचिव राकेश शर्मा, अपर मुख्य सचिव एस राजू, प्रमुख सचिव डा.उमाकांत पंवार, सचिव आनंदवर्धन, अमित नेगी, आर मीनाक्षी सुंदरम, विधायक नवप्रभात आदि उपस्थित थे।
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