दो साल की स्नातक उपाधि वालों को राहत
जागरण संवाददाता, देहरादून: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 1986 से पहले प्रवेश पाने और दो वर्ष
जागरण संवाददाता, देहरादून: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 1986 से पहले प्रवेश पाने और दो वर्षीय स्नातक की उपाधि पाने वालों को बड़ी राहत दी है। अभी तक इन उपाधि धारकों को यूजीसी रेगुलेशन 1985 के तहत स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए एक वर्ष का ब्रिज कोर्स करना पड़ता था। कई संस्थान भी नियुक्ति के लिए इस तरह के ब्रिज कोर्स को ही तरजीह देते थे। अब यूजीसी ने इसमें सुधार करते हुए कहा कि रेगुलेशन 1985 के लागू होने से पहले नामांकन कराने वाले और डिग्री प्राप्त करने वालों को अब तीन वर्षीय उपाधिधारकों के समान ही वैध माना जाएगा।
यूजीसी ने 17 अगस्त को जारी एक नोटिस में कहा कि अब दो वर्षीय स्नातक उपाधि भी वैध मानी जाएगी, बशर्ते यह उपाधि चार जून, 1986 से पूर्व प्राप्त की गई हो या फिर इस तिथि से पहले उपाधि में नामांकन हो चुका हो। गौरतलब है कि यूजीसी रेगुलेशन 1985 के तहत बीए, बीकॉम और बीएससी जैसी स्नातक उपाधियों के लिए तीन वर्ष की अवधि तय है। यह रेगुलेशन चार जून 1986 को अस्तित्व में आया। इससे पहले तक ये उपाधियां दो वर्ष की थीं। ऐसे में इस रेगुलेशन के लागू होने के बाद दो वर्षीय उपाधिधारकों को नए मानकों के तहत उपाधि वैध करने के लिए एक साल का ब्रिज कोर्स करना होता था। इसी ब्रिज कोर्स के बाद ही स्नातकोत्तर डिग्री में प्रवेश भी संभव था। इस मामले को लेकर लंबे समय से संशोधन की मांग की जा रही थी।
यूजीसी के सचिव प्रो. जसपाल एस संधू ने कहा कि इस मामले में काफी लोगों की मांग यूजीसी को मिली। कई संगठन भी इस मामले में सुधार की मांग कर रहे थे। इसे देखते हुए यूजीसी ने फैसला किया कि अब उक्त तिथि से पहले की तमाम उपाधियों को वैध (तीन वर्षीय उपाधि के समकक्ष) माना जाएगा और उपाधिधारकों को अब ब्रिज कोर्स करने की जरूरत नहीं होगी। इस संबंध में देशभर के विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी कर जानकारी दे दी गई है ताकि ऐसे उपाधिधारकों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।