शिमला-कालका की तर्ज पर कर्णप्रयाग रेल मार्ग
जागरण संवाददाता, देहरादून: कालका-शिमला रेल मार्ग की तर्ज पर उत्तराखंड में भी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग मार्ग
जागरण संवाददाता, देहरादून: कालका-शिमला रेल मार्ग की तर्ज पर उत्तराखंड में भी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग मार्ग बन सकता है। रेलवे के प्रारंभिक सर्वे में इसकी प्रबल संभावना सामने आई है। हालांकि, विस्तृत सर्वे अभी किया जा रहा है। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद ही रेलवे इस पर फैसला लेगा।
कालका-शिमला रेल मार्ग पर पत्रकारों की विशेष यात्रा के दौरान नॉर्दर्न रेलवे के महाप्रबंधक एके पुठिया ने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के लिए द्वितीय चरण में हवाई सर्वे के साथ जंगल में भौतिक सर्वे कराया जा रहा है। हालांकि, बात तभी आगे बढ़ेगी, जब उत्तराखंड सरकार आधा खर्च वहन करने को तैयार होगी। बता दें कि, 1903 में अंग्रेजों ने कालका-शिमला के बीच दो फीट छह इंच की नैरो गेज लेन पर रेल यातायात शुरू किया था, जो आज भी जारी है। इस मार्ग पर करीब 191 घुमाव आते हैं, कई जगह रेल तीव्र 48 डिग्री के कोण पर घूमती है। शिमला ब्रिटिश सरकार की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। महाप्रबंधक ने बताया कि सर्वे के बाद देहरादून-कालसी रेल लाइन पर विचार नहीं हुआ। रेल मंत्रालय ने इसे मंजूरी नहीं दी है।
विद्युतीकरण को एनजीटी की ना
हरिद्वार से देहरादून तक रेलवे लाइन के विद्युतीकरण का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ना के चलते फिर फंस गया है। नॉर्दर्न रेलवे के महाप्रबंधक एके पुठिया ने बताया की राजाजी नेशनल पार्क के अंतर्गत कासरो के जंगल में विद्युत लाइन बिछाने की अनुमति नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नहीं दे रहा। इस कारण देहरादून से ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ाई जा सकती। अब लक्सर से हरिद्वार तक ही विद्युतीकरण का काम होगा।
अर्द्धकुंभ के लिए अतिरिक्त ट्रेनें
नॉर्दर्न रेलवे के महाप्रबंधक के अनुसार हरिद्वार अर्द्धकुंभ के लिए कई अतिरिक्त ट्रेनें चलाई जाएंगी। इनमें कुछ हरिद्वार के ज्वालापुर, कुछ मोतीचूर और कुछ ऋषिकेश स्टेशन तक जाएंगी। यात्रियों की सुविधा और संख्या के हिसाब से अतिरिक्त ट्रेनों की संख्या तय होगी।
रोडवेज से जमीन खाली कराएगा रेलवे
देहरादून रेलवे स्टेशन हर्रावाला शिफ्ट नहीं होगा, इसी स्टेशन का विस्तारीकरण किया जाएगा। इसके लिए रोडवेज को लीज पर दी गई जमीन खाली कराई जाएगी। महाप्रबंधक एके पुठिया ने बताया कि लीज खत्म होने के बाद भी रोडवेज जमीन खाली नहीं कर रहा। कई बार नोटिस भी दिया जा चुका है। अब प्रशासन की मदद से जमीन खाली कराई जाएगी। यहां रेलवे होटल, वेटिंग लॉज आदि बनाएगा। साथ ही म्यूजियम बनाने पर भी विचार चल रहा है।
डबल रेल लाइन का प्रस्ताव अटका
कांसरो के जंगल की वजह से लक्सर से देहरादून तक रेलवे लाइन के दोहरीकरण का प्रस्ताव लटक गया है। वन विभाग ने जमीन और एनओसी नहीं दी है। श्री पुठिया ने बताया कि मार्च, 2016 तक लक्सर से हरिद्वार तक डबल लाइन का काम पूरा हो जाएगा।