पूर्व सीएम बहुगुणा ने लौटाई सुविधाएं
राज्य ब्यूरो, देहरादून राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं के लिए नियमावली बनाने में लेटलतीफ
राज्य ब्यूरो, देहरादून
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं के लिए नियमावली बनाने में लेटलतीफी और हाईकोर्ट के रुख ने आखिरकार सरकार को उत्तरप्रदेश की नियमावली अपनाने को बाध्य तो कर दिया, लेकिन इसकी ज्यादा गाज कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर ही गिरनी तय है। वहीं मंत्रिमंडल के फैसले के तुरंत बाद पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने पहल करते हुए समस्त निजी स्टाफ, चालकों समेत सरकारी वाहन और पुलिस सुरक्षा कर्मचारियों को वापस कर दिया है। इस बाबत उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र भी भेजा है।
पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जा रही सुविधाओं को लेकर किरकिरी झेल रही सरकार इस संबंध में अब तक नियमावली तैयार नहीं कर सकी है। हालांकि बीती 27 मार्च को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त सुविधाओं को नियमावली को विधानसभा में रखने की मंजूरी दी जा चुकी है। दरअसल, अभी तक इस बाबत उत्तराखंड की अपनी नियमावली नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्रियों को उत्तरप्रदेश की नियमावली के मुताबिक ही उक्त सुविधाएं दी जा रही हैं। राज्य सरकार ने नियमावली के बगैर ही सिर्फ शासनादेश के जरिए इन सुविधाओं में बढ़ोतरी की है। मंत्रिमंडल ने मार्च माह में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली सुविधाएं बहाल रखने पर ही मुहर लगाई थी। इसके लिए प्रस्तावित नियमावली में पूर्व मुख्यमंत्रियों को एक पीआरओ और दो कर्मचारियों के वेतन मद में एकमुश्त 85 हजार रुपये देने का प्रस्ताव है। इसमें मुफ्त सरकारी आवास, दो वाहन समेत वर्तमान में दी जा रही सुविधाएं बहाल रखी गई हैं। लेकिन, विधानसभा से पारित नहीं होने के कारण उक्त नियमावली अब तक अस्तित्व में नहीं आ पाई। इस वजह से हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। लिहाजा बीते रोज हरिद्वार जिले के चुड़ियाला गांव में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में इस मुद्दे को रखा गया। यह तय किया गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाओं के संबंध में वर्ष 1997 की उत्तरप्रदेश की नियमावली को उत्तराखंड में लागू की जाएगी। इस नियमावली में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवासीय सुविधा देने का प्रावधान है। ऐसे में उक्त फैसले के शासनादेश की शक्ल लेते ही पूर्व मुख्यमंत्रियों की अन्य सुविधाओं पर कैंची चल सकती है।
'दैनिक जागरण' जनता की गाढ़ी कमाई पूर्व सीएम पर खर्च करने के मामले में जन भावनाओं को सामने रखते हुए अभियान चला चुका है। उधर, मंत्रिमंडल के उत्तरप्रदेश की नियमावली लागू करने के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अपनी सुविधाओं में कटौती कर दी। इस संबंध में उनके विशेष कार्याधिकारी दीप प्रकाश डिमरी की ओर से शुक्रवार को मुख्य सचिव को पत्र भेजा गया। पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री को सचिवालय प्रशासन की ओर से उपलब्ध सभी निजी स्टाफ, शासकीय वाहन संख्या-यूके07 जीबी 1000 व शासकीय वाहन यूए05पी 8000 लौटा दिए गए। साथ ही चालक शूरवीर रावत व भगवान सिंह मियां, पुलिस कर्मचारियों राजेंद्र पंवार, धीरज रावत, हिमांशु वर्मा व सुरेश कंडारी को कार्यमुक्त कर दिया। उन्हें मूल विभाग में तत्काल प्रभाव से कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया है। गौरतलब है कि मंत्रिमंडल के उक्त फैसले की गाज कांग्रेसी पूर्व मुख्यमंत्रियों पर ज्यादा पड़नी है। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री फिलवक्त सांसद भी हैं, इस वजह से उन्हें कई अन्य सुविधाएं मिल रही हैं।
इनसेट-
पूर्व मुख्यमंत्रियों को वर्तमान में मिल रहीं सुविधाएं:
-एक विशेष कार्याधिकारी अथवा वैयक्तिक सहायक
-दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी
-टाइप-पांच श्रेणी का आवास
-दो वाहन (चालक समेत)
-दो वाहनों के लिए पेट्रोल-डीजल
-आवास की सफाई, चौकीदारी, टेलीफोन अटेंडेंट के लिए प्रतिमाह 10 हजार रुपये।