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त्यूनी व पलासू पर असमंजस बरकरार

राज्य ब्यूरो, देहरादून: टौंस नदी पर प्रस्तावित 70 मेगावाट की आराकोट-त्यूनी व 120 मेगावाट क्षमता की त

By Edited By: Published: Wed, 08 Jul 2015 01:05 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2015 01:05 AM (IST)
त्यूनी व पलासू पर असमंजस बरकरार

राज्य ब्यूरो, देहरादून: टौंस नदी पर प्रस्तावित 70 मेगावाट की आराकोट-त्यूनी व 120 मेगावाट क्षमता की त्यूनी-पलासू जलविद्युत परियोजनाओं पर असमंजस की स्थिति बनती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री ने उक्त परियोजनाएं किसाऊ बांध परियोजना के लिए गठित हिमाचल व उत्तराखंड के संयुक्त उपक्रम को देने का आश्वासन तो दे दिया, मगर इस दिशा में फिलहाल कोई पहल होती नहीं दिख रही। माना जा रहा है कि ऐसे में सरकार इन परियोजनाओं को आगे भी सिंचाई विभाग के पास यथावत रख सकती है।

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टौंस नदी पर प्रस्तावित 660 मेगावाट की किसाऊ बांध परियोजना के निर्माण के लिए हाल में उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश के बीच संयुक्त उपक्रम बनाने पर करार हो गया है। इसके करार तहत इस बहुउद्देश्यीय परियोजना में दोनों राज्य बराबर हिस्सेदार होंगे। हिमाचल की मांग पर मुख्यमंत्री ने आराकोट-त्यूनी व त्यूनी पलासू का निर्माण भी किसाऊ बांध के लिए गठित संयुक्त उपक्रम से कराने पर सैद्धांतिक सहमति दी थी, मगर सरकार व शासन स्तर पर इस दिशा में आगे कोई कार्यवाही होती नहीं दिख रही है।

दरअसल, अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से ही लंबित इन दोनों परियोजनाओं के निर्माण का जिम्मा राज्य सरकार पूर्व में सिंचाई विभाग को सौंप चुकी है। अलबत्ता इसके लिए सिंचाई विभाग अलग से एक निगम का गठन भी कर चुका है। निगम इन दोनों परियोजनाओं की डीपीआर भी तैयार कर चुका है, जिन पर केंद्र से कुछ मंजूरी ली जानी शेष है। हिमाचल की मांग पर राज्य सरकार की सैद्धांतिक सहमति से इन परियोजनाओं पर असमंजस के हालात बन गए थे।

दरअसल, यदि इन परियोजनाओं के निर्माण का जिम्मा हिमाचल व उत्तराखंड के संयुक्त उपक्रम को सौंपा जाता है, तो राज्य सरकार को दोनों परियोजनाओं में हिमाचल को भी हिस्सेदारी देनी होगी। माना जा रहा है कि इसी वजह से प्रदेश सरकार फिलहाल इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश सरकार अब इन दोनों परियोजनाओं को पहले की तरह सिंचाई विभाग के पास यथावत रखने के पक्ष में है। हालांकि, विभागीय अधिकारी इस मामले में फिलहाल कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे हैं।


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