बंदरों को खाना दिया, तो मिलेगी सजा
सुभाष भट्ट, देहरादून: सावधान! सड़क किनारे या मठ-मंदिरों में बंदरों को किसी प्रकार की खाद्य सामग्री
सुभाष भट्ट, देहरादून:
सावधान! सड़क किनारे या मठ-मंदिरों में बंदरों को किसी प्रकार की खाद्य सामग्री देना आपको भारी पड़ सकता है। इस मामले में तीन वर्ष की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थलों पर बंदरों को खाना या दाना देने पर शासन पहले ही रोक लगा दी थी, मगर मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश के बाद इस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डीबीएस खाती ने आदेश जारी किया है। ऐसे मामले में दोषी व्यक्ति के विरुद्ध वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड में बंदर का जंगलों से निकल कर लगातार आबादी की ओर बढ़ना एक विकराल समस्या बन चुकी है। नतीजा यह कि नगरीय क्षेत्रों में बंदर-मानव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। खासतौर पर मंदिरों व बाजारों में बंदरों के उत्पात की घटनाओं ने आमजन की नींद हराम कर दी। राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे भी बंदरों की लगातार बढ़ती सक्रियता सड़क दुर्घटना का कारण भी बन रही है। दरअसल, इस समस्या का मूल कारण है पर्यटकों व अन्य लोगों द्वारा बंदरों को खाद्य सामग्री देना। मंकी फीडिंग के बढ़ते प्रचलन से बंदर जंगलों को छोड़ आबाद क्षेत्रों की ओर लपक रहे हैं।
बंदरों के बढ़ते आतंक को रोकने के लिए सरकार ने 2013 में विस्तृत कार्ययोजना तो बनाई, मगर धरातल पर लागू नहीं हो पाई। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-दो में सूचीबद्ध बंदर को मानव जीवन के लिए घातक होने पर प्रभागीय वनाधिकारी के स्तर से मारने की अनुमति का अधिकार दिया गया है। शहरी क्षेत्रों में मानव-बंदर संघर्ष की घटनाओं में समयबद्ध व उचित कार्यवाही के लिए 2013 में मानक कार्य प्रक्रिया शासन स्तर पर निर्धारित की गई। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब वन विभाग ने इस कार्य प्रक्रिया को सख्ती से लागू करने के आदेश जारी किए हैं।
मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक ने अपने इस आदेश में स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक स्थलों पर बढ़ी मंकी फीडिंग से बंदर इन क्षेत्रों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है। बंदरों की सड़क हादसों में मृत्यु भी हो रही है। उत्तराखंड की सीमा के अंतर्गत बंदरों को किसी भी स्थान पर खाद्य सामग्री देना पूरी तरह प्रतिबंधित है। लिहाजा, ऐसा करने पर संबंधित व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
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'सार्वजनिक स्थलों पर बंदरों को खाना देने से मानव बंदर संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही है। राज्य में पूरी तरह प्रतिबंधित है। लिहाजा, इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।'
-मीनाक्षी जोशी, अपर सचिव, वन
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निकायों को दें बंदरों की सूचना
बंदरों के आतंक से परेशान लोग इसकी सूचना संबंधित नगर निकाय में नामित नोडल अफसर को दे सकते हैं। 2013 में तय मानक कार्य प्रक्रिया के तहत प्रत्येक नगर निकाय में बंदरों के आतंक की सूचना लेने के लिए एक नोडल अफसर नामित करते हुए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। बंदरों को पकड़ने के लिए बंदर रेस्क्यू दल भी गठित हैं। ऐसी सूचना पर मुख्य नगर अधिकारी इन दलों को बंदरों को पकड़ने का जिम्मा सौंपेंगे। सूचना मिलने के 15 दिन के भीतर इस दल को राहत कार्य प्रारंभ करना होगा।
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