स्मार्ट सिटी : 5.7 करोड़ लीटर सीवर का निस्तारण नहीं
प्रस्तावित: सुमन सेमवाल, देहरादून जागरण संवाददाता, देहरादून: स्मार्ट बनने के लिए जिस दून का मुकाबल
प्रस्तावित: सुमन सेमवाल, देहरादून
जागरण संवाददाता, देहरादून: स्मार्ट बनने के लिए जिस दून का मुकाबला देश के टॉप-20 शहरों से होने वाला है, उसके 5.7 करोड़ लीटर सीवर के निस्तारण की अभी तक व्यवस्था ही नहीं हो पाई। 10 हजार से अधिक घरों का गंदा पानी बिना नाली के सड़कों पर ही बहता है। जबकि, स्मार्ट शहर के लिए सीवर व गंदे पानी का सौ फीसद निस्तारण जरूरी है। इसी आधार पर प्रस्तावित स्मार्ट सिटी को अंक दिए जाएंगे और सबसे बेहतर 20 शहरों को केंद्र सरकार पहले चरण में 500 करोड़ की ग्रांट देगी। इसके लिए हमें न सिर्फ लंबी दूरी तय करनी है, बल्कि समय भी बेहद कम है।
स्मार्ट सिटी के लिए सीवर निस्तारण व घरों के पानी की निकासी भी एक अहम पड़ाव है। इन दोनों बिंदुओं पर केंद्र सरकार ने 100 फीसद इंतजाम का मानक तय किया है। स्मार्ट बनने के लिए दून के पास प्रदेश गठन से अब तक 14 साल का लंबा समय था। प्रदेश की अस्थायी राजधानी होने के बाद भी करीब डेढ़ दशक में 20 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) क्षमता का एकमात्र सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) ही बन पाया है। इसमें भी अभी तक आठ एमएलडी (80 लाख लीटर प्रतिदिन) सीवर निस्तारण के लिए भेजा जा रहा है। जबकि, प्रतिदिन 6.50 करोड़ लीटर सीवर निकलता है। साफ है कि 5.7 करोड़ लीटर सीवर बिना निस्तारण के नदियों में समा रहा है। घरों से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी के इंतजाम के मोर्चे पर भी दून का मुकाबला मुश्किल बनता दिख रहा है।
ये है अंकों का गणित
स्मार्ट सिटी के लिए करीब 15 प्रकार की नागरिक सुविधाओं पर शहर को अंक दिए जाएंगे। 100 अंक के इस मुकाबले में 80 अंक नगर निगम व 20 अंक विकास प्राधिकरण (दून में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) की सेवाओं पर तय किए गए हैं। सीवर व जल निकासी के अंक नगर निगम के 80 अंक के तहत आएंगे। सर्वाधिक अंक लाने वाले 20 शहरों को ही प्रथम चरण में ग्रांट मिलेगी।
सीवेज निस्तारण की कसौटी पर दून
कुल परिवार: 1,1138.4
सीवर निकलता है: 6.50 करोड़ लीटर प्रतिदिन
एसटीपी: 20 एमएलडी क्षमता का एक प्लांट
निस्तारित सीवर: 08 एमएलडी
अनिस्तारित: 5.7 करोड़ लीटर
नाली में सीवर: 1085 घरों का सीवर नाली में बहता है
5000 के पास शौचालय नहीं
दून में पांच हजार परिवार ऐसे भी हैं, जिनके पास शौचालय सुविधा ही नहीं। जाहिर है इनके पास खुले में शौच जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं। वहीं, 30 हजार 288 घर ऐसे हैं, जिनके परिसर में शौचालय की सुविधा नहीं है। स्मार्ट सिटी के लिए 100 फीसद घरों में शौचालय होना जरूरी है। परिसर में भी शौचालय सुविधा जरूरी है।
पानी की निकासी की स्थिति
खुली नाली: 41 हजार से अधिक घरों का पानी खुली नाली में प्रवाहित होता है
नाली नहीं: 10 हजार 711 घर ऐसे हैं, जिनके पानी की निकासी के लिए कोई नाली नहीं