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गरीबों के घरौंदों पर सरकारी डाका

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून गुरबत से बेहाल लोगों को गुलाबी सपने दिखाकर सरकार योजनाओं का मायाजाल रच त

By Edited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 01:12 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 01:12 AM (IST)
गरीबों के घरौंदों पर सरकारी डाका

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून

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गुरबत से बेहाल लोगों को गुलाबी सपने दिखाकर सरकार योजनाओं का मायाजाल रच तो रही है, लेकिन इनकी जमीनी हकीकत गरीबी को मुंह चिढ़ा रही है। गरीबों को एक अदद छत मुहैया कराने की ऐसी ही योजना अटल आवास को खुद सरकार ने ही मजाक बना दिया। वंचितों के बजाए सत्ता पर पकड़ रखने वाले रसूखदारों के चहेतों को मानकों को ताक पर रखकर गरीबों के आवास मुहैया करा दिए गए। जिन परिवारों को 164 आवास दिए, उनमें 30 फीसद गरीबी रेखा से ऊपर पाए गए। तंत्र की मनमानी देखिए कि 133 आवास यानी 81 फीसद से आवास अपात्रों पर लुटाए गए हैं।

प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बेघरबार परिवारों को पक्के घरौंदे देने के लिए तैयार की गई अटल आवास योजना की जमीन पर पहले से ही अच्छी-खासी हैसियत और पक्के मकानों वाले परिवारों को फायदा पहुंचाने की इबारत लिखने का हुनर समाज कल्याण महकमे ने कर दिखाया। इसकी तस्दीक खुद सरकारी जांच में हुई है। जांच में इस अहम योजना की बेकद्री और महकमे के स्तर पर बरती गई लापरवाही का खुलासा हुआ है। योजना के लिए कुमाऊं मंडल से अल्मोड़ा और अधिकतम जनजाति संख्या वाले जनपद पिथौरागढ़ व मैदानी जिले उधमसिंहनगर और गढ़वाल मंडल से टिहरी जिले का चयन किया गया। इन जिलों में वर्ष 2008-09 से 2012-13 तक अटल आवास योजना के लिए आए कुल 2854 आवेदन पत्रों में से 2504 आवेदन पत्रों को जिलों में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति ने मंजूरी दी। नियोजन महकमे की जांच में योजना के लिए धनराशि को लेकर ही जिलों और समाज कल्याण निदेशालय के स्तर पर अलग-अलग जानकारी से ही सवाल खड़े हो गए। जिलों से बताया गया कि उक्त योजना के लिए 10.07 करोड़ मंजूर हुए, जबकि खर्च 9.24 करोड़ किए गए। वहीं निदेशालय ने योजना के लिए 7.90 करोड़ धनराशि की मंजूरी और 8.75 करोड़ खर्च होने की सूचना दी। जांच में अलग-अलग जानकारी के पीछे आंकड़ों की भ्रामक स्थिति को माना गया है।

योजना के लिए पात्र लोगों के चयन में बड़े स्तर पर गड़बड़ी मिली। कुल 164 लाभार्थियों में 49 लाभार्थी गरीबी रेखा से ऊपर निवासरत हैं। आठ लाभार्थी राशन कार्ड नहीं दिखा जाए। गरीबी रेखा से ऊपर लाभार्थियों को आवास आवंटित किए जाने के प्रकरण में गहराई से जांच की जरूरत बताई गई है। माना जा रहा है कि रसूखदारों के चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए मानकों से खिलवाड़ किया गया। जांच दल यह देखकर भौंचक रह गया कि एक भी लाभार्थी पहले से आवासहीन नहीं था। 164 में 133 परिवारों के पास पहले से पक्के आवास थे। 31 लोगों के पास कच्चे आवास थे। 133 लाभार्थियों को गलत आवास आवंटन पर अंगुली उठाई गई है। योजना में अपात्रों पर दरियादिली तो दिखाई गई, साथ में मानक से कम यानी 222 वर्गफीट से कम क्षेत्रफल में बनाए गए 118 आवास गंभीर वित्तीय अनियमितता की ओर संकेत कर रहे हैं। वित्तीय अनियमितता की समग्र जांच की सिफारिश की गई है।

इनसेट:

जांच रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें:

-कई लाभार्थियों का चयन योजना के मानकों के विपरीत किया गया, इसकी व्यापक जांच आवश्यक

-सत्यापन और मानीट¨रग नहीं होने से कई अपात्रों को योजना का लाभ मिला, इस पर रोक के लिए विभिन्न महकमों के मानव संसाधन का एकीकरण जरूरी है

-कई लाभार्थियों के आवास निर्माण मानक से कम क्षेत्रफल में किया गया और कुछ लाभार्थियों ने निर्माण नहीं किया, इस वित्तीय अनियमितता की समग्र जांच हो

-निर्माण स्थल पर सत्यापन के बगैर ही दूसरी किस्त का भुगतान अनुचित है। इसकी मानीट¨रग हो

--पारदर्शिता के लिए जिलावार आवासहीन व्यक्तियों की सूची में से अनुसूचित जाति-जनजाति के सबसे कमजोर व्यक्ति से ऊपर के क्रम में पात्रता सूची तैयार की जानी चाहिए।


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