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आसान नहीं स्मार्ट सिटी का सपना

राज्य ब्यूरो, देहरादून: यूं तो प्रदेश का हर छोटा-बड़ा शहर केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना का हिस्स

By Edited By: Published: Fri, 03 Jul 2015 01:06 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2015 01:06 AM (IST)
आसान नहीं स्मार्ट सिटी का सपना

राज्य ब्यूरो, देहरादून: यूं तो प्रदेश का हर छोटा-बड़ा शहर केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना का हिस्सा बनना चाहता है, मगर सच्चाई यह है कि शहरों के चयन के लिए निर्धारित मानकों की कसौटी पर खरा उतरना इतना आसान नहीं है। उत्तराखंड में फौरी तौर पर छह नगर निगमों को ही मुख्य दावेदार माना जा रहा है। निगमों के मौजूदा हालात पर गौर करें, तो इनमें से देहरादून नगर निगम बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है। खास तौर पर पांच लाख की आबादी का मानक भी इन छह में से अकेले नगर निगम देहरादून ही पूरा करता है। यह दीगर बात है कि देहरादून के लिए भी योजना में चयन की राह आसान नहीं होगी।

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केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी योजना के लिए शहरों की चयन प्रक्रिया में राज्य सरकार की पसंद या किसी ताकतवर नेता की हनक की बजाय, योजना के लिए निर्धारित मानक ही असल कसौटी होने जा रहे हैं। उत्तराखंड में यदि छह नगर निगमों को इसके प्रमुख दावेदार के तौर पर तोला जाए, तो निकायों की वित्तीय आत्मनिर्भरता, उनकी कार्यसंस्कृति व शहर का मिजाज जैसे कई कारक चयन प्रक्रिया में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। खासतौर पर विस्तार व विकास की गुंजाइश चयन की प्रक्रिया में अहम साबित होगी।

योजना में पांच लाख की आबादी के तय मानक पर फिलहाल देहरादून नगर निगम ही फिट बैठता है। प्रदेश की राजधानी के साथ ही एजुकेशन हब के तौर पर तेजी से विशेष पहचान बना रहा देहरादून पर्यटक स्थल व ऐतिहासिक शहर के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह दीगर बात है कि योजना के तहत शहर के विस्तार की सीमित संभावना के मद्देनजर निकटवर्ती ग्रामीण इलाकों के शहरीकरण के रूप में स्मार्ट सिटी की बड़ी कीमत भी चुकानी होगी। कुंभनगरी के नाम से प्रसिद्ध हरिद्वार शहर तीर्थाटन व पर्यटन के लिहाज से प्रसिद्ध है, मगर पांच लाख की आबादी का मानक यह ऐतिहासिक व आध्यात्मिक शहर पूरा नहीं कर रहा।

इनके अलावा रुड़की व हल्द्वानी नगर निगम भी भले आबादी का मानक पूरा नहीं करते हों, मगर अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले इन शहरों को भी प्रतिस्पर्धा से फिलहाल बाहर नहीं किया जा सकता है। इन नगर निगमों के बीच मुकाबला भले ही जितना कड़ा हो, मगर हकीकत यही है कि राज्य सरकार को इन शहरों को स्मार्ट सिटी के चयन के लिए तय मानकों तक पहुंचाने में अभी लंबी कसरत करनी होगी। निकायों की वित्तीय हालात सुधारने के साथ ही इन शहरों में नागरिक सुविधाओं को बेहतर भी बनाना होगा।

इनसेट..

प्रमुख दावेदार शहरों की स्थिति..

नगर निगम देहरादून..

-आबादी: पांच लाख से अधिक

-टैक्स आदि से आय: दस करोड़

-आंतरिक स्रोत से आय: 30 फीसद

-विशेषता: राजधानी, एजुकेशन हब, ऐतिहासिक व पर्यटक स्थल, कई महत्वपूर्ण केंद्रीय संस्थान।

नगर निगम हरिद्वार..

-आबादी: पांच लाख से कम

-टैक्स आदि से आय: चार करोड़

-आंतरिक स्रोत से आय: 30 फीसद

-विशेषता: कुंभक्षेत्र, पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण।

नगर निगम रुड़की..

आबादी: दो लाख से कम

टैक्स आदि से आय: करीब तीन करोड़

आतंरिक स्रोत से आय: 30 फीसद

विशेषता: आइआइटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान, व्यावसायिक गतिविधियां।

-नगर निगम हल्द्वानी..

-आबादी: दो लाख से कम

-टैक्स आदि से आय: 1.70 करोड़

-आंतरिक स्रोत से आय: 50 फीसद

-विशेषता: कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए बड़ा बाजार।


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