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अस्पतालों को तीन साल की मोहलत!

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश के निजी अस्पतालों, नर्सिग होम आदि की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए

By Edited By: Published: Mon, 25 May 2015 01:08 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2015 01:08 AM (IST)
अस्पतालों को तीन साल की मोहलत!

राज्य ब्यूरो, देहरादून:

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प्रदेश के निजी अस्पतालों, नर्सिग होम आदि की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए शासन ने क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट की नियमावली तैयार कर ली। इस नियमावली को जल्द विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्तावित नियमावली में अस्पतालों को अपने कर्मचारियों को अनिवार्य डिप्लोमा या डिग्री कराने के लिए तीन वर्ष का समय दिया जाएगा। इसके बाद बगैर डिप्लोमा या डिग्री वाले कार्मिक रखने पर अस्पतालों के लाइसेंस भी रद किए जा सकते हैं।

निजी अस्पतालों, नर्सिग होम, क्लीनिक आदि की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने करीब ढाई साल पूर्व ही क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट पारित किया था। चूंकि स्वास्थ्य कान्करेंट सूची का विषय है, लिहाजा स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता व बेहतरी के उद्देश्य से पारित हुए इस एक्ट को लागू करना राज्य सरकारों के लिए भी बाध्यकारी है। प्रदेश सरकार ने विधानसभा से यह एक्ट पारित करा दिया, मगर नियमावली तैयार नहीं बनने के कारण प्रदेश में एक्ट का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।

इस एक्ट में कई ऐसे सख्त प्रावधान हैं, जिनसे निजी अस्पतालों, डाक्टरों व नर्सिग होम की मनमानी पर अंकुश लगेगा। साथ ही, सभी अस्पतालों, क्लीनिक, नर्सिग होम व डाक्टरों को इस एक्ट के तहत पंजीकरण कराना जरूरी हो जाएगा। चिकित्सा उपचार संबंधी प्रत्येक सेवा का शुल्क की सूची भी निजी अस्पतालों को डिस्प्ले बोर्ड पर अंकित करनी होगी। इसके अलावा प्राईवेट अस्पतालों आदि को अपने डाक्टर व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की योग्यता के प्रमाण भी उपलब्ध कराने होंगे। इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध जुर्माने व अन्य दंड के भी प्रावधान किए गए हैं।

बहरहाल, शासन ने इसकी नियमावली भी तैयार कर ली है, जिसे विधानसभा पटल पर रखने के बाद लागू किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित नियमावली में सभी अस्पतालों को अपने कर्मचारियों को तय डिप्लोमा या डिग्री कराने के लिए तीन वर्ष की मोहलत दी जाएगी। इस अवधि में उक्त डिप्लोमा या डिग्री करने वाले कर्मचारी ही अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे सकेंगे। इस अवधि के बाद बिना डप्लोमा, डिग्री वाले कर्मचारियों की सेवाएं जारी रखने वाले अस्पतालों का लाइसेंस भी रद किया जा सकता है।


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