जीवन भर खुशी की तलाश में भटकता है मनुष्य
जागरण संवाददाता, देहरादून: मनुष्य जिस खुशी की तलाश में पूरा जीवन बिता देता है उसके बारे में वह कुछ भ
जागरण संवाददाता, देहरादून: मनुष्य जिस खुशी की तलाश में पूरा जीवन बिता देता है उसके बारे में वह कुछ भी नहीं जान पाता। लेकिन, सच ये है कि खुशी को हम ही पैदा कर सकते हैं। ये बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय के स्थानीय सेवा केंद्र सुभाषनगर में आयोजित रविवारीय सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी प्रेमलता ने कहीं।
उन्होंने कहा कि हम खुशी को व्यक्ति में, वैभव में, धन में ढूंढ़ते हैं, लेकिन इसमें खुशी नहीं मिल सकती है। अगर मन शांत, निर्मल और प्रभु भक्ति में लगा होगा तो खुशी की अनुभूति होगी। कहा कि खुशी बांटने से बढ़ती है, इसलिए हमें अपनी खुशियों को दूसरों के साथ भी बांटना चाहिए। इससे जीवन में जरूर सकारात्मक परिवर्तन आएंगे।
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दुख सच्चाई का आभाष कराते हैं
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में आयोजित सत्संग में साध्वी विदुषी दीपांकरा भारती ने कहा कि दुख इंसान को सच्चाई का आभास कराते हैं। भक्तों ने भगवान से सदा दुखों की ही मांग की है, क्योंकि वे जानते हैं कि दुखों में ही परमात्मा की याद बनी रहती है। महाभारत काल में मां कुंती ने भगवान कृष्ण से समस्त संसार के दुख मांगे थे। उन्होंने कहा कि मन जैसी दिशा होगी वैसी ही उसकी दशा भी होना तय है। जिस मन में सदैव ईश्वर की याद समाई रहती है, उन पर बाहरी परिस्थितियों का कोई असर नहीं होता है।
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माया में फंसा है मनुष्य
संत निरंकारी मंडल के साप्ताहिक सत्संग में संत राकेश जोशी ने कहा कि प्रभु ने जीव को मानव शरीर देकर एक शुभ अवसर प्रदान किया है। फिर भी मनुष्य माया जाल में फंसकर इस अवसर को गवां बैठता है। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने भजनों की प्रस्तुति से भी संगत को निहाल किया।