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मेयर के आश्वासन से असंतुष्ट कर्मचारी तालाबंदी पर अड़े

संवाद सहयोगी, देहरादून : नियमितीकरण की मांग पर अड़े आंदोलनरत वाहन चालक, लाइन मैन व कंप्यूटर ऑपरेटर शन

By Edited By: Published: Sat, 02 May 2015 10:01 PM (IST)Updated: Sun, 03 May 2015 05:07 AM (IST)
मेयर के आश्वासन से असंतुष्ट कर्मचारी तालाबंदी पर अड़े

संवाद सहयोगी, देहरादून : नियमितीकरण की मांग पर अड़े आंदोलनरत वाहन चालक, लाइन मैन व कंप्यूटर ऑपरेटर शनिवार को मेयर विनोद चमोली के आश्वासन पर भी संतुष्ट नहीं दिखे। कर्मचारियों ने दोटूक कहा कि यदि उनकी मांगों को लेकर मंगलवार तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ तो वे नगर निगम में तालाबंदी कर कार्य बहिष्कार करेंगे। इससे पहले वार्ता में मेयर ने उनकी मांगों को कार्मिक विभाग पहुंचाने का आश्वासन दिया था। गनीमत रही कि इस दौरान सफाई कर्मचारियों ने हड़ताल में भागीदारी नहीं की, जिससे शहर की सफाई व्यवस्था पटरी से नहीं उतरी। लेकिन, मंगलवार से उन्होंने भी हड़ताल की चेतावनी दी।

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बता दें कि नगर निगम में पद सृजित न होने के कारण वाहन चालक समेत अन्य कर्मचारियों के समायोजन में दिक्कतें आ रही हैं। लेकिन, ये कर्मचारी बेलदार के पद पर समायोजित किए जाने को तैयार हैं। हालांकि, इसके लिए भी शासन की अनुमति जरूरी होती है। लंबे समय से चली आ रही समायोजन की मांग को लेकर कर्मचारियों ने गुरुवार से भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। मांग पूरी न होने के कारण कर्मचारी विकास महासंघ ने भी इनके समर्थन में शनिवार से निगम में तालाबंदी करने का निर्णय लिया। मामला अधिक न बिगड़े, इसलिए मेयर ने सुबह ही कर्मचारियों से वार्ता की और आश्वासन दिया कि वे विकास मंत्री से वार्ता कर इस समस्या का हल करेंगे।

इसके बाद मेयर ने मुख्य नगर अधिकारी नितिन भदौरिया के साथ जाकर विधानसभा में शहरी विकास मंत्री से मुलाकात की और कर्मचारियों की परेशानी को बताया। शहरी विकास मंत्री ने मामला कार्मिक और वित्त विभाग का होने का हवाला दिया और कहा कि यह प्रस्ताव इन विभागों को भेज दिया जाएगा। महासंघ के अध्यक्ष नाम बहादुर ने इस मुलाकात के बारे में नगर निगम में धरनारत कर्मचारियों को बताया। इस दौरान कर्मचारियों को पार्षदों का भी समर्थन मिला।

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दोपहर बाद कुछ क्षेत्रों से नहीं उठा कूड़ा

शनिवार सुबह को कूड़ा उठान किया गया, लेकिन दोपहर बाद से निगम के सभी प्रकार के वाहनों के चालक हड़ताल पर रहे। इस दौरान न उठान के लिए गाड़ियां चली, न डोजर ही। नतीजा, कुछ क्षेत्रों में बड़े कूड़ेदान नहीं उठाए जा सके।


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