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राज्य में कई संवैधानिक पद खाली

राज्य ब्यूरो, देहरादून: राज्य सरकार भले ही कार्यकर्ताओं को सरकारी दायित्व देने में दरियादिल नजर आ रह

By Edited By: Published: Sat, 25 Apr 2015 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2015 01:01 AM (IST)
राज्य में कई संवैधानिक पद खाली

राज्य ब्यूरो, देहरादून: राज्य सरकार भले ही कार्यकर्ताओं को सरकारी दायित्व देने में दरियादिल नजर आ रही हो, मगर कई संवैधानिक संस्थाओं के बेहद अहम पद लंबे अरसे से खाली पड़े हैं। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में लोकायुक्त कानून तो पारित करा दिया, मगर लोकायुक्त की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई। जनकल्याण के लिए बनाई गई कई संवैधानिक संस्थाएं भी निष्क्रिय पड़ी हैं। वजह यह है कि इन संस्थाओं में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष जैसे अहम पद खाली पड़े हैं।

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केंद्र सरकार में योजना आयोग अब नीति आयोग में बदल चुका है, मगर उत्तराखंड में राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष का पद वर्ष 2012 से खाली पड़ा है। कांग्रेस विधायक मयूख महर को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया था, मगर उन्होंने इस जिम्मेदारी में कोई दिलचस्पी नहीं ली। नतीजा यह कि प्रदेश के विकास की दिशा तय करने वाली इस महत्वपूर्ण संस्था में उपाध्यक्ष का पद खाली पड़ा है। इसी तरह लोकायुक्त कार्यालय पर प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, मगर लोकायुक्त की नियुक्ति न होने से इसका लाभ राज्य को नहीं मिल रहा।

राज्य महिला आयोग का हाल भी इससे जुदा नहीं है। सुशीला बलूनी द्वारा आयोग के अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद से ही इसमें नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। पिछले दो साल से ये कुर्सी खाली है, तो कई सदस्य भी नहीं हैं, जिसकी वजह से महिला उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों के निस्तारण में अपेक्षित रफ्तार से काम नहीं हो पा रहा है। दलितों व पिछड़ों के हितों का संरक्षण करने वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी पर भी वर्षो से नियुक्ति नहीं की गई। ऐसे में उपनिदेशक स्तर के अफसर के हाथों आयोग की पूरी जिम्मेदारी डाल दी गई है।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद से अजय सेतिया का कार्यकाल खत्म होने के बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई, तो राज्य सफाई कर्मचारी आयोग पर भी हर महीने लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति नहीं की। इसी तरह राज्य सूचना आयोग आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी भी एनएस नपलच्याल की सेवानिवृत्ति के बाद से खाली है। हालांकि, इसका प्रभार सूचना आयुक्त प्रभात डबराल को दिया गया है।


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