सीएम कहेंगे तो ही खरीदी जाएंगी सरकारी गाड़ी
फिजूलखर्ची रोकने की हिदायत, पेट्रोल-डीजल, साज-सज्जा, स्टेशनरी पर कम करें खर्च -केंद्रपोषित और बाह
फिजूलखर्ची रोकने की हिदायत, पेट्रोल-डीजल, साज-सज्जा, स्टेशनरी पर कम करें खर्च
-केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित योजनाओं में बजट खर्च धीमा धीमा रहा तो सचिव जवाबदेह
-कार्यदायी संस्थाओं से समयसारिणी के मुताबिक काम पूरा करने के लिए होगा एमओयू
-साल की आखिरी तिमाही में नए कार्यो के लिए जारी नहीं होगी स्वीकृति
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून
विकास योजनाओं का बजट मार्च माह या वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही में न हो, इसे लेकर मुख्यमंत्री हरीश रावत की चिंता असर दिखाने लगी है। नए वित्तीय वर्ष 2015-16 में बजट का अधिकतम उपयोग हो और अनाप-शनाप खर्चो पर अंकुश लगाने के लिए नौकरशाहों की जवाबदेही तय की गई है। केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित योजनाओं का फायदा उठाने में उत्तराखंड केफिसड्डी साबित होने से नसीहत लेते हुए प्रशासकीय महकमों के सचिवों को जिम्मेदार बनाया गया है। सरकार ने अहम फैसला लिया है कि नए वाहनों की खरीद के हर मामले में पहले मुख्यमंत्री की रजामंदी ली जाएगी।
गुजरे वित्तीय वर्ष 2014-15 के हालातों पर काबू करने में तमाम मजबूरियों का जिक्र कर चुके मुख्यमंत्री हरीश रावत नए वित्तीय वर्ष में बजट के इस्तेमाल को लेकर ढील देने को तैयार नहीं हैं। नतीजतन सरकार ने नए वर्ष के पहले दिन से ही हाथ में चाबुक थाम लिया है। मकसद यह है कि बजट परिव्यय और बजट प्रावधान के मुताबिक खर्च को पटरी पर लाया जाए। साथ में फिजूलखर्ची पर रोक लगाई जा सके। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव वित्त राकेश शर्मा ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के पहले दिन ही बजट के इस्तेमाल को लेकर सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों और बजट नियंत्रण अधिकारियों को विस्तार से सख्त हिदायत जारी कर दीं।
फिजूलखर्ची रोकने के लिए फर्नीचर, साज-सज्जा, उपकरणों की खरीद, स्टेशनरी, पेट्रोल-डीजल, विद्युत प्रभार आदि मदों में बचत करने का रास्ता सुझाया गया है। लंबी यात्राओं के लिए सार्वजनिक यातायात साधनों के उपयोग की सलाह दी गई है। मितव्ययता के मद्देनजर सरकारी वाहनों की खरीद के लिए नई वाहन नीति का पालन करना होगा। यह तय किया गया है कि नए वाहन खरीदने से पहले प्रत्येक प्रकरण पर वित्त महकमे के माध्यम से मुख्यमंत्री का अनुमोदन अनिवार्य होगा। आउटसोर्सिग पर रखे जाने वाले कार्मिकों की संख्या महकमे में स्वीकृत और रिक्त पदों की सीमा में ही रखनी होगी। ऐसे मामलों में पत्रावली वित्त को नहीं भेजी जाएगी। धनराशि अवमुक्त करने का प्रत्येक आदेश जारी करने के लिए इंटरनेट के माध्यम से केंद्रीय स्तर पर एक विशिष्ट नंबर प्राप्त करना होगा। बिना इस विशिष्ट नंबर के किसी भी आदेश के आधार पर आहरण और खर्च नहीं किया जाएगा।
केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित योजनाओं के खर्च को लेकर पूरी गंभीरता से काम करने को कहा गया है। इस वर्ष केंद्र से राज्य को विशेष योजनागत सहायता (एसपीए) बंद किया गया है। लिहाजा इस मद में चालू योजनाओं के लिए धन मिलने की स्थिति में वित्तीय स्वीकृति मिल सकेगी। यह ताकीद की गई है कि नए कार्यो की मंजूरी सालभर नहीं दी जाए। इसकी मंजूरी अप्रैल माह में ही दी जाए। साथ में वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही जनवरी, फरवरी और मार्च में नए कार्यो को मंजूरी देने की प्रवृत्ति रोकने के निर्देश दिए गए हैं। अब निर्माण कार्यो पर अनुमोदित लागत से ज्यादा खर्च नहीं करने को कहा गया है। कार्यदायी संस्थाओं से समयसारिणी के मुताबिक काम पूरा करने के लिए एमओयू किया जाएगा। जो निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं, उन्हें मंजूर की गई धनराशि निरस्त की जाएगी। ऐसे मामलों में जरूरत के मुताबिक नए आगणन के आधार पर नए सिरे से मंजूरी दी जाएगी।