चकबंदी के पुनर्गठन का प्रस्ताव तैयार
राज्य ब्यूरो, देहरादून: पर्वतीय क्षेत्रों में खेत-खलियानों के जरिए ग्रामीण आर्थिकी को मजबूत बनाने के
राज्य ब्यूरो, देहरादून: पर्वतीय क्षेत्रों में खेत-खलियानों के जरिए ग्रामीण आर्थिकी को मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार ने चकबंदी को जमीन पर उतारने की कवायद तेज कर दी है। इसके तहत राज्य सरकार जहां चकबंदी एक्ट लाने तैयारी में है, वहीं चकबंदी विभाग का पुनर्गठन भी करने जा रही है। चकबंदी विभाग के पुनर्गठन का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया। कार्मिक विभाग की सहमति मिलने के बाद इसकी फाइल अब वित्त विभाग को भेज दी गई है। वित्त की सहमति के बाद इसे जल्द ही मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया जा सकता है।
राज्य गठन के चौदह साल बाद भी पहाड़ में खेती व बागवानी को ग्रामीण आर्थिकी का प्रमुख स्रोत नहीं बनाया जा सका है। पर्वतीय इलाकों में चकबंदी न होना और सिंचाई के पुख्ता इंतजाम का अभाव इसकी प्रमुख वजह रही है। देर से ही सही, मगर पड़ोसी राज्य हिमाचल से सबक लेते हुए राज्य सरकार ने भी चकबंदी की मुहिम को धरातल पर उतारने की दिशा में कवायद तेज कर दी। शुरुआती दौर में सरकार जल्द ही चकबंदी विभाग का पुनर्गठन करने जा रही है। इसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है।
इसके तहत चकबंदी की यूनिटों में मंजूर मौजूदा 150 पदों को घटाकर 123 करने की तैयारी है, मगर इन यूनिटों की संख्या में बढोतरी की जा रही है। उत्तर प्रदेश के समय इस क्षेत्र में मात्र दो चकबंदी यूनिट थी। राज्य गठन के बाद इनकी संख्या चार की गई, मगर अब सरकार चकबंदी यूनिट की संख्या बढ़ाकर छह करने जा रही है। इनमें चार यूनिट चकबंदी व दो यूनिट सर्वे की शामिल होंगी। वजह यह है कि केंद्र की नेशनल लैंड रिकार्ड मार्डनाईजेशन प्रोग्राम के तहत अब चकबंदी के लिए सर्वे का बुनियादी काम मुख्यतया आउटसोर्सिग के जरिए किया जाना है।
शासन स्तर पर गठित तकनीकी कमेटी भी इस बाबत अपनी संस्तुति सरकार को सौंप चुकी है। स्वैच्छिक चकबंदी की प्रक्रिया में अब तक खेतों आदान-प्रदान की अनुमति का अधिकार एसडीएम के पास होता है, मगर समिति ने यह अधिकार अब चकबंदी यूनिटों को देने का सुझाव दिया है, ताकि चकबंदी कानूनगो या चकबंदी यूनिट के स्तर पर ही खेतों के हस्तांतरण की प्रक्रिया बिना किसी परेशानी के पूरी हो सके। बहरहाल, पुनर्गठन के प्रस्ताव को कार्मिक से हरी झंडी मिल चुकी है। वित्त विभाग की सहमति के बाद जल्द ही इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष लाने की संभावना है।