बर्बाद हो रहा 'जीवन'
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : जल ही जीवन है इसको बचाने का संदेश देने वाला जल संस्थान स्वयं इसका कितना पा
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : जल ही जीवन है इसको बचाने का संदेश देने वाला जल संस्थान स्वयं इसका कितना पालन करता है, इसकी हकीकत विभाग के आंकड़े बखूबी बयां करते हैं। जल संस्थान की प्रतिदिन की सप्लाई का आठ से 10 फीसद पानी लीकेज से बर्बाद हो रहा है। पानी की इस बर्बादी को विभाग रोक सके तो गर्मियों पानी के लिए लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर नहीं होंगे।
ऋषिकेश नगर व आसपास के ग्रामीण इलाकों में गर्मियों की शुरूआत के साथ ही पेयजल की समस्या भी सिर उठाने लगती है। लगातार बढ़ती आबादी के कारण क्षेत्र में पेयजल की मांग भी बढ़ रही है, जिसे पूरा करना विभाग के लिए भी चुनौती बना हुआ है। पेयजल समस्या का एक बड़ा कारण पेयजल लाईनों व ओवरहेड टैंकों में होने वाला लीकेज भी है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार ऋषिकेश क्षेत्र में करीब 20.44 लाख लीटर पानी की जरूरत प्रतिदिन पड़ती है। जबकि करीब 17.44 लाख लीटर ही आपूर्ति होती है मगर इस आपूर्ति में से भी करीब 10 फीसदी से अधिक पानी लीकेज के कारण बर्बाद हो रहा है। इसका अर्थ हुआ कि रोजाना दो लाख लीटर पीने का पानी नालीयों व सड़कों पर बेकार बह रहा है। इस लीकेज से पानी तो बर्बाद होता ही है, पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। पानी की आपूर्ति बंद होने पर लीकेज वाले स्थानों पर गंदगी जमा हो जाती है। पानी की आपूर्ति चालू होते ही यह गंदगी पानी के साथ पाइप लाइन से होती हुई लोगों के घरों तक पहुंच जाती है। आवास विकास, मायाकुंड, कुम्हारबाड़ा, सर्वहारा नगर, शांतिनगर आदि क्षेत्र में लोग अक्सर गंदे पेयजल की आपूर्ति की समस्या से त्रस्त रहते हैं। जिस कारण लोगों को पेयजल के साथ ही सेहत संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शहर की करीब 70 फीसद पेयजल आपूर्ति अब भी पुरानी लाइनों से ही हो रही है। यही कारण है कि शहर में अब भी लीकेज एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
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लीकेज बड़ी समस्या है जो अधिकतर पुरानी पेयजल लाइनों में आती है। लेकिन एक साथ पूरी लाइन को नहीं बदला जा सकता है। क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार ही नई पाइप लाइन डालने या मरम्मत का कार्य किया जाता है।
तरुण शर्मा, एसडीओ जल संस्थान ऋषिकेश
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यह है लीकेज की स्थिति
ऋषिकेश में
मांग: 20.44 एमएलडी
सप्लाई: 17.44 एमएलडी
वेस्टेज: 2.0 एमएलडी
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श्यामपुर में
मांग: 12.29 एमएलडी
आपूर्ति: 11.84 एमएलडी
वेस्टेज: 1.5 एमएलडी
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मुनिकीरेती
मांग: 13.07 एमएलडी
आपूर्ति: 12.62 एमएलडी
वेस्टेज: 1.9 एमएलडी