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मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने की कवायद

राज्य ब्यूरो, देहरादून: लगभग 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में मानव व वन्यजीव संघर्ष को रोकने की द

By Edited By: Published: Fri, 06 Mar 2015 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2015 01:00 AM (IST)
मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने की कवायद

राज्य ब्यूरो, देहरादून: लगभग 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में मानव व वन्यजीव संघर्ष को रोकने की दिशा में राज्य सरकार दो महत्वपूर्ण योजनाएं जल्द शुरू करने जा रही है। इनमें से मुख्यमंत्री खेती सुरक्षा योजना के लिए नए वित्तीय वर्ष के बजट में धनराशि का प्रावधान किए जाने की उम्मीद है। बंदरों, जंगली सुअर व हाथी से सुरक्षा की इस योजना के अलावा गुलदार के हमलों से मानव को बचाने के लिए भी एक नई वृहद योजना तैयार की जा रही है।

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उत्तराखंड में जंगल से सटे आबादी वाले क्षेत्रों में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। राज्य गठन के बाद से अब तक जंगली जानवरों के हमले में 401 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 900 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। खेती के लिए भी जंगली जानवर लगातार परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। वन्यजीवों और मानव के बीच बढ़ रहे संघर्ष को रोकने व खेती की सुरक्षा के मद्देनजर राज्य सरकार दो महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू करने जा रही है। इनमें से मुख्यमंत्री खेती सुरक्षा योजना हाल में ही शुरू की गई, जिसके लिए एक करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष के लिए जारी किए गए थे।

नए वित्तीय वर्ष के बजट में इस योजना के लिए और धनराशि का प्रावधान करने की तैयारी है। इसके तहत पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली सुअरों से खेती की सुरक्षा के लिए सुअररोधी दीवार बनाई जाएंगी। साथ ही, हाथियों से सुरक्षा के लिए हाथीरोधी सुरक्षा दीवार, सोलर फेंसिंग, सुरक्षा खाई आदि बनाने की योजना है। करीब 120 करोड़ की यह योजना पांच वर्ष में पूरी की जानी है। बंदरों से सुरक्षा के लिए भरी 70 करोड़ की नई योजना तैयार की जा रही है। इसके लिए भी आगामी बजट में धनराशि की व्यवस्था की जाएगी।

दरअसल, वन्यजीवों के हमलों से अब तक हुई मौतों में 80 फीसद मामले गुलदार के हमले से जुड़े हैं। ऐसे में राज्य सरकार गुलदार से आमजन की सुरक्षा के लिए भी एक वृहद योजना बनाने में जुटी है। इस प्रस्तावित योजना के तहत जहां जख्मी व रेस्क्यू किए जाने वाले गुलदारों के लिए बड़े-बड़े बाड़े रेस्क्यू सेंटर के तौर पर विकसित किए जाएंगे। जंगल से सटे क्षेत्रों में गुलदार के हमलों को कम करने के लिए लेंटाना उन्मूलन को अभियान चलाया जाएगा। गुलदार की भोजन श्रंखला में आने वाले जंगली जानवरों की तादाद बढ़ाने के लिए भी इस योजना के तहत ठोस उपाय किए जाएंगे।


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