पर्यटन प्रदेश को तगड़ा झटका
राज्य ब्यूरो, देहरादून: आम बजट में केंद्र पोषित योजनाओं के अंतर्गत पर्यटन अवसंरचना के लिए मिलने वाली
राज्य ब्यूरो, देहरादून: आम बजट में केंद्र पोषित योजनाओं के अंतर्गत पर्यटन अवसंरचना के लिए मिलने वाली वित्तीय मदद बंद करने के ऐलान से उत्तराखंड को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र में ढांचागत सुविधाएं विकसित करने पर हो रहे खर्च में लगभग 45 से 50 फीसद आर्थिक संसाधन इन्हीं केंद्र पोषित योजनाओं के जरिए मिलते रहे हैं। जाहिर है पर्यटन व तीर्थाटन पर आधारित सूबे की अर्थव्यवस्था पर भी वित्तमंत्री अरुण जेटली की इस बड़ी कटौती का निकट भविष्य में सीधा व बड़ा असर देखने को मिलेगा।
नवंबर 2000 में उत्तराखंड गठन के बाद से ही पर्यटन व तीर्थाटन को पहाड़ी राज्य की आर्थिक रीढ़ बनाने के सपने बुने जाते रहे हैं। बेहद सीमित संसाधनों वाले प्रदेश को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए अब तक पर्यटन क्षेत्र में संचालित केंद्रीय वित्त पोषित योजनाओं का बड़ा सहारा मिलता रहा है। पर्यटन सर्किट, टूरिस्ट डेस्टिनेशन की योजनाएं हों या फिर ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने वाली पर्यटन ग्राम योजना, इन सभी योजनाओं के तहत राज्य को प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये की आर्थिक मदद केंद्र सरकार से मिलती रही है।
वर्ष 2000-01 से 2006-07 के बीच पर्यटन ग्राम योजना के तहत 12 प्रोजेक्ट के लिए 7.30 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे, जबकि 2004-05 से लेकर 2011-12 तक टूरिस्ट सर्किट व टूरिस्ट डेस्टिनेशन के अंतर्गत राज्य को 32 योजनाओं के लिए लगभग 142.57 करोड़ की आर्थिक मदद केंद्र सरकार से मिली है। वर्ष 2010-11 में पर्यटन विकास के सात अहम प्रोजेक्ट के लिए भ्ीा केंद्र से लगभग 27 करोड़ की मंजूरी मिली, जबकि वर्ष 2011 में निर्मल गंगोत्री इको-टूरिज्म मेगा सर्किट के लिए 50 करोड़ स्वीकृत हुए।
जाहिर है यदि इन केंद्र पोषित योजनाओं के तहत केंद्र से मिलने वाली यह वित्तीय मदद उत्तराखंड को मिलना बंद हो जाएगी, तो प्रदेश में पर्यटन विकास की मुहिम को तगड़ा झटका लगना तय है। खास बात यह है कि केंद्र सरकार ने आम बजट में ऐसे वक्त पर यह ऐलान किया है, जब 2013 में दैवीय आपदा से हुई भीषण त्रासदी के बाद उत्तराखंड में पर्यटन व तीर्थाटन व्यवसाय लगभग पूरी तरह ठप पड़ा है। पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन से जुड़ी अवसंरचनाओं को भी इस आपदा में भारी नुकसान पहुंचा है।