पुलिस आधुनिकीकरण को लगेगा झटका
विकास गुसाई, देहरादून: केंद्र सरकार की ओर से आम बजट में पुलिस आधुनिकीकरण के लिए बजट का प्रावधान समाप
विकास गुसाई, देहरादून: केंद्र सरकार की ओर से आम बजट में पुलिस आधुनिकीकरण के लिए बजट का प्रावधान समाप्त करने से प्रदेश को खासा झटका लगा है। इस समय पुलिस आधुनिकीकरण की कई योजनाएं स्वीकृत और कई पाइपलाइन में हैं। केंद्रीय सहायता मिलने से नई योजनाओं की स्वीकृति में कठिनाई आ सकती है। माना जा रहा है कि इससे प्रदेश में पुलिस बल को मजबूत करने की दिशा में उठाए जा रहे कार्य प्रभावित होंगे। कारण यह कि अब पुलिस आधुनिकीकरण के लिए प्रदेश सरकार को ही पूरा बजट मुहैया कराना होगा। मौजूदा वित्तीय हालात को देखते हुए इसमें कटौती तय मानी जा रही है।
प्रदेश के नेपाल व चीन की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे होने के कारण पुलिस आधुनिकीकरण उत्तराखंड की अहम जरूरत है। बीते कुछ वर्षो से माओवाद की दस्तक ने भी पुलिस तंत्र को मजबूत करने पर मजबूर किया है। बाहरी लोगों के अवागमन के कारण पुलिस तंत्र को मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। ऐसे में केंद्र की ओर से पुलिस आधुनिकीकरण के लिए मिल रही मदद खासी अहम मानी जाती रही है।
केंद्र की ओर से अभी तक पुलिस आधुनिकीकरण के लिए तकरीबन 12-15 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष केंद्र से मिलते हैं। इसमें 75 फीसद धनराशि केंद्र और 25 फीसद धनराशि राज्य सरकार देती है। बीते कुछ वर्षो से इस मद के तहत काफी अहम कार्य किए गए हैं। इसमें पुलिस बलों के लिए आधुनिक हथियार खरीदने के साथ ही सुविधाओं का भी विकास किया गया है। इसके अलावा प्रदेश में कई नए थाने खोलने को भी मंजूरी प्रदान की गई है। बीते एक वर्ष में राज्य आपदा प्रतिपादन बल, साइबर थाना और राज्य रेलवे पुलिस का भी गठन किया गया है। पुलिस कर्मियों की संख्या में खासी वृद्धि भी की गई है। ऐसे में ऐन वक्त पर पुलिस आधुनिकीकरण का मसला राज्य सरकारों के अधीन करने से प्रदेश को झटका लगा है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि इस वर्ष राज्य को काफी कम मदद मिली। ऐसे में इस योजना के बंद होने से प्रदेश को खासा नुकसान होगा।
वहीं, प्रदेश के पूर्व डीजीपी जीसी पांडे ने पुलिस आधुनिकीकरण के लिए केंद्र से मदद ने मिलने से पुलिस को मजबूत करने की दिशा में उठाए जा रहे कदम प्रभावित होंगे।
एनडीआरएफ में बटालियन की जगह मिलेगी कंपनी
प्रदेश को केंद्र से एक और झटका लगा है। दरअसल, प्रदेश में आई आपदा के बाद केंद्रीय आपदा प्रतिपादन बल (एनडीआरएफ) ने प्रदेश में एक बटालियन खोलने का ऐलान किया था। इसके तहत तकरीबन एक हजार कर्मचारी तैनात होने थे। अब एनडीआरएफ केवल एक कंपनी देने पर ही सहमत हुई है। मुख्यमंत्री ने इसे राज्य हितों से कुठाराघात करार दिया है।