सरकारी उपेक्षा के चलते पहचान खो रहा मेला
संवाद सूत्र, कालसी: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद में लगने वाला गांधी मेला अब पहचान खो रहा है। मे
संवाद सूत्र, कालसी: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद में लगने वाला गांधी मेला अब पहचान खो रहा है। मेले में न सरकारी विभागों के स्टॉल लग रहे हैं और ना ही सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं। ऐसे में सरकारी उपेक्षा के चलते मेला गांव में लगने वाला सामान्य खरीदारी मेला बनकर रह गया है।
कालसी में महात्मा गांधी की याद में प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को लगने वाला मेला सरकार की उपेक्षा के कारण वजूद खोने की कगार पर है। कालसी की चित्रशिला रोड पर लगने वाले इस मेले को गांधी के जीवन दर्शन से जोड़कर देखा जाता है। राज्य गठन के बाद 2001 में पहली बार हुए मेले का उद्घाटन राज्यपाल सुरजीत ¨सह बरनाला ने किया था। मेले में छात्र-छात्राओं के कार्यक्रम प्रस्तुत करने के साथ ही शिक्षा विभाग व स्वास्थ्य विभाग के स्टॉल लगाए जाते थे। साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन की जानकारी देते पोस्टरों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती थी। वहीं, खादी, स्वदेशी सहित लघु व कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय उत्पादों पर आधारित स्टाल मेले का आकर्षण होते थे, लेकिन आज मेले में गांधी के जीवन से जुड़ा कुछ भी नहीं बचा है। वर्तमान में मेला सिर्फ ग्रामीणों के लिए खरीदारी मात्र का जरिया रह गया है। सरकारी सहायता न मिलने के चलते आयोजकों ने आयोजन से हाथ खींच लिए हैं। अब मात्र फेरीवाले अपनी दुकानें लगा कर मेले के अस्तित्व को बचाए रखने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। ब्लॉक प्रमुख अर्जुन ¨सह चौहान, ज्येष्ठ उप प्रमुख दयाराम, कनिष्ठ उप प्रमुख खजान नेगी, प्रधान अमृता रोहिला का कहना है कि मेले को पुराने स्वरूप में लाने के लिए सरकार से सहायता की मांग की जाएगी।